मानवीय रुचि: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का दिया आदेश
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश जारी किया, क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार लगभग 150 करोड़ रुपये का बिजली बकाया भुगतान करने में विफल रही है।
शिमला, 19 नवंबर (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश जारी किया, क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार लगभग 150 करोड़ रुपये का बिजली बकाया भुगतान करने में विफल रही है।
अदालत ने विद्युत विभाग के प्रधान सचिव को इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने के लिए तथ्य-जांच करने का भी निर्देश दिया है।
अदालत का यह फैसला सुक्खू सरकार द्वारा 64 करोड़ रुपये चुकाने के पिछले आदेशों की अनदेखी करने के बाद आया है, जो अब ब्याज के कारण बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गया है।
यह मामला लाहौल-स्पीति में चिनाब नदी पर बनने वाले 400 मेगावाट सेली हाइड्रो प्रोजेक्ट के संदर्भ में उठाया गया था। अदालत ने साफ किया कि यह राशि राज्य के खजाने से जा रही है, जिसका नुकसान जनता को उठाना होगा, इसलिए कंपनी को हिमाचल भवन को नीलाम कर अपनी रकम वसूलने की अनुमति दी गई है।
इससे पहले प्रदेश सरकार को कंपनी द्वारा जमा की गई 64 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि सात प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश मिला था। हिमाचल प्रदेश सरकार की कोर्ट के इस आदेश की अवहेलना के बाद ब्याज समेत राशि अब 150 करोड़ पहुंच गई है। इस मामले में अगली सुनवाई छह दिसंबर को तय की गई है।
इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार को उच्च न्यायालय ने बड़ा झटका दिया था। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की पीठ ने छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए उन्हें हटाने के आदेश दिये थे।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2006 के सीपीएस एक्ट को निरस्त करने के साथ सीपीएस की सभी सरकारी सुविधाएं तत्काल प्रभाव से वापस लेने का आदेश दिया था। दरअसल हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के छह विधायकों को सीपीएस बनाया था। इस नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए कल्पना नाम की महिला के अलावा 11 भाजपा विधायकों और पीपुल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस नामक संगठन ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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