राजनीति: राहुल गांधी ने रायबरेली की 'दिशा' बैठक से निकलकर झूठ बोला दिनेश प्रताप सिंह
उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने सांसद राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने नागपुर में कहा था कि दिशा की बैठक में जब मैं परिचय ले रहा था तो वहां कोई दलित और पिछड़ा नहीं मिला था।
लखनऊ, 7 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने सांसद राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने नागपुर में कहा था कि दिशा की बैठक में जब मैं परिचय ले रहा था तो वहां कोई दलित और पिछड़ा नहीं मिला था।
गुरुवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा।
दिनेश प्रताप सिंह ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी रायबरेली में 'दिशा' की बैठक में से निकलकर सार्वजनिक मंच से झूठ बोला है। बिना संदेह वो बहुत ही हास्यास्पद है। सभी जानते हैं कि दिशा की बैठक में राहुल गांधी ने किसी से नहीं पूछा कि वो किस जाति और बिरादरी के हो? इसके बाद वो कह रहे हैं कि वो उन्होंने इसके बारे में पूछा, ऐसे में इतने बड़े पद पर रहते हुए उनको इतना बड़ा झूठ नहीं बोलना चाहिए।
भाजपा नेता ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि यह उनकी अयोग्यता और अक्षमता है कि वो ऐसे सवाल करते हैं? उनको ऐसा बोलने की कोई आवश्यकता नहीं थी। वो जिस बैठक में बैठे थे, उस बैठक में मोदी सरकार उनको शासनादेश देती है कि आप इस बैठक के लिए सदस्य नामित करो। नौ सदस्यों को नामित किया जाना था, जिसमे से तीन आरक्षित वर्ग से नामिक करने थे।
ऐसा मोदी सरकार द्वारा आरक्षण दिया गया था और छह संबंधित सांसद को करना था। उसमें उन्होंने दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक मुसलमान और केवल एक पिछड़ा और एक दलित नामित किया है। ऐसे में स्वयं राहुल गांधी जिस बैठक पर उंगली उठा रहे हैं, उसमें उनके द्वारा नामित सदस्यों की संख्या अगर देखी जाए तो दलित और पिछड़ों को उन्होंने लगभग न के बराबर अधिकार दिया।
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी मोदी जी पर उंगली उठा रहे हैं कि उन्होंने दलितों और पिछड़ों को अधिकार नहीं दिया। इस पर मैं कहूंगा कि राहुल गांधी और उनकी पीढ़ियों ने देश की दलितों और पिछड़ों के साथ अन्याय किया है। 1951 से आज तक उन लोगों ने दलितों और पिछड़ों का वोट तो लिया, लेकिन उनको अधिकार नहीं दिया। चाहे रायबरेली की विधानसभा ही क्यों नहीं हो। अगर ये वायनाड लोकसभा से किसी दलित या पिछड़े को टिकट देते तो हम मानते कि दलितों और पिछड़ों के लिए उनका बड़ा दिल है।
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