सिनेमा: 'राजाराम' के 'राजा' खेसारी लाल का दिलजीत दोसांझ के साथ हुए मनमुटाव पर खुलासा (आईएएनएस विशेष)
भोजपुरी फिल्मों के मेगा स्टार अभिनेता और सुपर स्टार गायक खेसारी लाल यादव अपनी नई फिल्म 'राजाराम' में धमाकेदार अंदाज में नजर आ रहे हैं। फिल्म 'राजाराम' के प्रमोशन के लिए आजकल खेसारी लाल यादव हर जगह घूम रहे हैं। इसी क्रम में खेसारी लाल यादव आईएएनएस के स्टूडियो में भी पहुंचे और यहां उनको पूछे गए हर सवाल का बेवाकी से जवाब दिया।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। भोजपुरी फिल्मों के मेगा स्टार अभिनेता और सुपर स्टार गायक खेसारी लाल यादव अपनी नई फिल्म 'राजाराम' में धमाकेदार अंदाज में नजर आ रहे हैं। फिल्म 'राजाराम' के प्रमोशन के लिए आजकल खेसारी लाल यादव हर जगह घूम रहे हैं। इसी क्रम में खेसारी लाल यादव आईएएनएस के स्टूडियो में भी पहुंचे और यहां उनको पूछे गए हर सवाल का बेवाकी से जवाब दिया।
आईएएनएस की तरफ से उनसे सवाल किया गया कि आपकी 'राजाराम' फिल्म छठ के शुभ अवसर पर रिलीज हो रही है, आप फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताइये? इस पर भोजपुरी अभिनेता ने कहा कि फिल्म राजाराम सात नवंबर को रिलीज हो रही है। इस फिल्म में राज अलग है राम अलग है। इसमें एक कलाकार की कहानी है। कलाकार राम का किरदार तो करता है लेकिन, लोगों की आस्था उससे जुड़ जाती है। अब उसकी कोई पर्सनल लाइफ है ही नहीं, लोग उसको भगवान मान चुके हैं। अब लोग चाहते हैं कि वो हमारे लिए जिए। जबकि उसकी एक अपनी पर्सनल लाइफ है। वो चाहता है कि मैंने तो कलाकार के तौर पर ये रोल किया है। उसी पर विवाद होता है और चीजें बड़ी हो जाती हैं।
खेसारी लाल यादव से आगे पूछा गया कि देव आनंद की गाइड फिल्म आपने देखी है? इस फिल्म में वो मजबूरी में भगवान बन गए थे। लोगों ने मान लिया था कि वो भगवान की तरह हैं। इस पर खेसारी लाल ने कहा कि नहीं, मैंने कोई फिल्म देखी नहीं है। ये कहानी थोड़ा सा कहा जाए तो अरुण गोविल से मिलती-जुलती है। हमने जब से होश संभाला है तब से हमने अरुण गोविल जी को ही राम के रूप में देखा है। मुझे लगता है हिंदुस्तान में लोग राम के चेहरा को अगर देखें तो अरुण गोविल जी हमें नजर आते हैं, तो उनकी कुछ कहानी से मिलती-जुलती ये कहानी है। वो भी कहीं सिगरेट पी लेते थे, इसमें मैं भी कहीं सिगरेट पी लेता हूं और लोग मुझे देख लेते हैं और चीजें कोर्ट तक पहुंच जाती हैं कि उनकी आस्था को ठेस पहुंचा रहा हूं। तो इस फिल्म की कहानी उसी विषय पर है। इसमें एक मां की भूमिका होती है। मां हमारे लिए कितनी जरूरी है? हमारे लिए हमारे बुजुर्ग कितने ज़रुरी हैं? हमारे पिता हमारे लिए कितने मायने रखते हैं। अब एक नायक जो राजा है, एक एक्टर के तौर पर वह गाना भी गा रहा है, तो वो यह फिल्म में काम कर रहा है। पर वो एक कलाकार के तौर पर राम का किरदार भी निभा रहा है। उसी से सारी चीजें जुड़ रही है और पंगा हो रहा है।
आईएएनएस की तरफ से उनसे पूछा गया कि अरुण गोविल ने तो राम का किरदार किया था। इसमें आप राजा का किरदार निभा रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि हां, इसमें मैं सीरियल का भी हिस्सा हूं। एक एक्टर के तौर पर मैं राम की भूमिका में हूं, सिनेमा में। जहां मैं एक सीरियल करता हूं और लोगों को इसमें आस्था है तो लोगों को उस किरदार से प्यार हो जाता है और लोग उसको भगवान मानने लगते हैं। लेकिन वो एक हीरो है, गाने भी गाता है, उसकी पर्सनल लाइफ भी है तो उसकी पर्सनल लाइफ डिस्टर्ब हो जाती है। उसके अपने शौक डिस्टर्ब हो जाते हैं और उसके लिए सारा हंगामा होता है। यही हमारी फिल्म राजाराम की कहानी है।
आईएएनएस की तरफ से उनसे सवाल किया गया कि आपकी कहानी का हीरो राजा है। उसकी पूरी जिंदगी के इर्द गिर्द पूरी कहानी घूमती है। लेकिन बैकड्रॉप इसमें रामायण को रखा गया है। फिर इसका नाम राजाराम क्यों? इस पर उन्होंने कहा कि 'राजाराम' इसको टाइटल रखा गया है और इसमें राम है क्योंकि कहानी राम से ही शुरू होती है। एक कलाकार राम बनता है और उसके बाद उसके जीवन में कितनी उछल कूद होती है, उसे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि उसे नौकर का भी रोल प्ले करना पड़ता है। लोगों का झाड़ू पोंछा, बर्तन धोना, कपड़ा धोना आदि सब करना पड़ता है, सिर्फ यह साबित करने के लिए कि नहीं, मैं उस लायक हूं, नहीं तो सीरियल बंद हो जाएगा। बहुत सारी चीजें है जो कोई इस फिल्म को देखेगा तो समझ में आ जाएगा। फिल्म देखने के बाद लोगों को पता चलेगा कि एक कलाकार कितनी मुसीबत का सामना करता है।
आईएएनएस की तरफ से उनसे पूछा गया कि अब राजा राम की बात कर रहे हैं और अभी कुछ महीने ही हुए हैं, जब अयोध्या में 500 साल के बाद हमें वापस से वहां राम मंदिर देखने को मिला। राम की जन्मभूमि पर वो माहौल देखने को मिला। आप वहां पर गए? इस पर खेसारी लाल यादव ने कहा कि वहां मैं अभी तक नहीं गया हूं, पहले गया था। अभी मैं सुल्तानपुर में सिनेमा कर रहा हूं। मेरा प्रयास रहेगा कि मैं जैसे पैकअप करूं। जैसे टाइम मिलेगा तो मैं एक बार जाकर दर्शन जरूर करूंगा। मैं पहले जब वहां मंदिर बन रहा था तब वहां गया था। वहां पर मेरी फिल्म 'रंग दे बसंती' का शेड्यूल था। वहीं पर हनुमानगढ़ी में मैंने गाने भी किए थे। करीब 20 से 25 दिन हम अयोध्या में रहे भी और काम भी किया। लेकिन, इस बार कोशिश रहेगी हमारी कि मैं वहां जाऊं।
उनसे सवाल पूछा गया कि अयोध्या में जिस लेवल पर कार्यक्रम हुए थे, आपने देखा होगा कि आपके सह कलाकारों ने भी उसमें हिस्सा लिया था, वहां के बारे में उन लोगों से कुछ बात हुई? इस पर उन्होंने कहा कि सही मायने में वहां के लोग बहुत सीधे हैं। आज की पीढ़ी त्रेता के राम को सिर्फ जानती है, तो वो जितना जानती उतना मुझे सुनने को मिला। मुझे लगता है कि किसी के कहे को मानने से अच्छा है कि उसके बारे में जानना, जो बहुत जरूरी है। अगर हम जान जाएंगे तो आपको अपने आपसे मानने लगेंगे। तो अगर आपके कर्म अच्छे हैं और राम जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहलाए तो उनकी कहीं ना कहीं यात्रा रही है। वो अयोध्या के लिए कितना जरूरी थे, ये मैंने नहीं देखा। लेकिन, वे सबरी के लिए बहुत जरूरी थे। आपकी अहमियत कहां है, यह बड़ा मायने रखता है और वो ही छोटी-छोटी यात्रा आपको बड़ा बनाती है तो उससे सीखना चाहिए।
हमें रामायण या हमें हमारे भगवान कृष्ण से सीखना चाहिए, जो भी हमारे देवता हैं उनसे सीखना चाहिए कि वो कैसे देवता बने। जब भी वो मनुष्य के रूप में आए तो उन्होंने वो मनुष्य वाली सारी विधि की जो एक मनुष्य करता है और उन्होंने बेहतर की इसलिए आज पूज्य हैं।
छठ पूजा का अवसर है और बहुत ही दुखद समाचार हमें सुनने को मिला। शारदा सिन्हा जी का निधन हो गया। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका नाम शारदा था और शारदा जहां नाम है तो संगीत उनसे ही शुरू होती है। कहीं ना कहीं देखिए छठ त्यौहार पर खेसारी लाल यादव, चाहे दुनिया का भोजपुरी का कोई भी सिंगर 200 मिलियन 400 मिलियन व्यूज वाले गाने दे सकता है। लेकिन, जो खनक और जो आस्था उनकी आवाज में और उनके शब्दों में और उनके गानों में मिले शायद हम लोग कभी जीवन में दे पाएं। शारदा जी हमारे लिए कहीं ना कहीं हमारी आस्था थीं। मुझे लगता है कि धरती जब तक रहेगी तब तक हम उनको नहीं भूल पाएंगे और पूरी दुनिया नहीं भूल पाएगी। यह हमारे लिए बड़ी हानि है। शारदा सिन्हा हमारे लिए धरोहर हैं और धरोहर थी, शायद एक बिहारी से पूछिएगा तो एक बिहारी होने के नाते मुझे लगता है कि हमारा घमंड थी वो, हमारी आस्था थी, हमारे त्यौहार की खूबसूरती थी वो, जो आज हमारे बीच में नहीं हैं। कृपा मां की देखिए कि जिस छठ के गानों से शारदा सिन्हा जी को जाना जाता है, उनको छठी मईया ने अपने छठ त्यौहार के मौके पर ही अपने पास बुला लिया। बहुत कम ऐसे लोगों को यह सौभाग्य मिलता है कि जिस चीज से पहचान मिली आप उसी दिन इस दुनिया को छोड़कर और उस दुनिया में चले जाएं।
उनसे दिलजीत दोसांझ को लेकर सवाल किया गया कि आपने तीन दिन पहले ट्वीट किया, बहुत बवाल हुआ। क्या है वो? इस पर खेसारी लाल ने कहा कि मैं यूपी और बिहार में वो शो नहीं कर रहा था बल्कि वो महाराष्ट्र में कर रहा था। महाराष्ट्र में ढाई से तीन लाख लोगों का आना छोटी बात नहीं है, बहुत बड़ी बात है। एक छोटे कलाकार के लिए बिहार के एक छोटे गांव से आने वाला व्यक्ति, तो मैंने उसके लिए तो ट्वीट किया था। लोग हमारी भाषा को बड़ा कमजोर समझते हैं। लोग बोलते हैं यार ये भाषा भोजपुरी, मैथिली ये बिहारी भाषा है तो मैं उस ताकत को बताने के लिए कि हम बिहारियों की ताकत, हमारी भाषा की ताकत बहुत बड़ी है। मैंने उनको उनसे जोड़ा तो कलाकारों में थोड़ा सा नोंकझोंक होता है ना। दिलजीत दोसांझ बहुत बड़े कलाकार हैं और सम्मानित हैं। आज भी हैं, कल भी हैं, परसों भी हैं। वो बड़े भाई के तौर पर हैं हमारे, सम्मानित हैं लेकिन एक नोंकझोक में दुनिया को जो लोग बोलते हैं ना कि भोजपुरी भाषा ये, भोजपुरी भाषा वो, जो लोगों के लिए बोलते हैं ये उनके लिए ट्वीट था। आप देखो कि हमारी भाषा की गरिमा कितनी बढ़ी है। महाराष्ट्र जैसी धरती पर करीब तीन लाख लोगों का आना और एक साथ लाइट जलाना और लगा कि दीपावली है। दोबारा लोगों ने दीये जला दिये, तो वो एक विषय तो है। हमारी भाषा के लिए घमंड की बात है, गर्व की बात है, उसके लिए मैंने ट्वीट किया था जो हमारी भाषा को गलत बोलते हैं।
वो थोड़ी सी नोंकझोक थी। वो ज्यादा सीरियस बातें नहीं थी। समझ लीजिए कि एक मस्ती थी। कुछ लोगों को बताना मेरे लिए ज़रूरी था, जो हमारे भाषा को भला बुरा बोलते हैं। मैंने उनके लिए ट्वीट किया था। दिलजीत दोसांझ के साथ मस्ती में बोला था, पवन सिंह के बारे में क्या था, मैं उनसे भी मस्ती करता हूं। मैं उनसे भी कभी-कभी मस्ती कर लेता हूं। अब किससे मस्ती करें, जो हमारे लायक हैं, मैं उसी को कुछ बोल सकता हूं। सबको तो बोल नहीं सकता और उनसे मेरा एक ही रिश्ता नहीं है, उनसे मेरा बहुत करीब का रिश्ता है। एक बड़े भाई के तौर पर, एक दोस्त के तौर पर, एक शुभचिंतक के तौर पर। हम दोनों भाई जब मिलते हैं तो हम दोनों एक दूसरे को बहुत एंटरटेन भी करते हैं। हमारा एक दोस्ती का रिश्ता है। जैसे एक पिता के साथ इंसान का रिश्ता होता है, एक मां के साथ होता है, एक भाई के साथ होता है, एक दोस्त के साथ होता है तो सारे रिश्ते हमारे उनसे जुड़ते हैं, मिलते हैं और मैं उनके लिए हमेशा अच्छा फील करता हूं। वो हमारे भोजपुरी की गरिमा हैं और प्रतिष्ठा हैं और हमेशा प्रयास रहेगा कि हमारे बड़े भाई और दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे। हमारी हमेशा शुभकामना और हमारी दुआएं उनके साथ हैं।
उनसे सवाल किया गया कि उनके ऊपर अवसरवादी राजनीति के भी कई आरोप लगते हैं। क्या कहना है? इस पर खेसारी लाल यादव ने कहा कि हम कलाकार लोग हैं। हमें राजनीति उतनी नहीं आती। कला के बारे में अगर हमसे पूछिएगा तो शायद हम बेहतर बता पाएंगे। मुझे लगता है कि जितना मैं जानता हूं, कला में भी मुझे नहीं लगता कि मैं बहुत संगीत सीखकर आया हूं। जितना लोगों ने प्यार दिया, मैं उसी में खेलना चाहता हूं और उसी में कुछ करने की कोशिश करता हूं।
वहीं आईएएनएस की तरफ से उनसे पूछा गया कि आप भोजपुरी के बारे में भी बोल रहे हैं। मुझे लगता है कि जो भोजपुरी गाने हैं, भोजपुरी फिल्में हैं, उसमें लड़कियों को जिस तरह से पोट्रे किया जाता है वो बहुत ज्यादा सेक्शुअल कहलाता है जो कि साउथ की इंडस्ट्री में भी एक टाइम बहुत ज्यादा था। इनफैक्ट महाराष्ट्र के इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा था। मराठी में तो एक बार तो उन्होंने बहुत साल पहले ग्रुप बनाकर ठान लिया था कि नहीं हमारी फिल्म में हम ऐसा नहीं होने देंगे। उसके बाद से मराठी फिल्मों में चीजें बदलनी शुरू हुई। आप बहुत सीनियर आर्टिस्ट हैं, अब आपको लगता है कि वो समय आ गया कि आप स्टैंड लें। आप ये इनिशिएट लें कि नहीं, लड़कियों को सम्मान मिले। लड़कियों को अगर हर किरदार जिस तरह फिल्मों में रहते हैं वो एक सम्मानित किरदार हो।
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देखिए सबसे बड़ी चीज ये है कि ये संसार जो है एक औरत एक पुरुष से ही बनता है। दुनिया का कोई भी काम हो तो सारी चीजें एक औरत और पुरुष के ऊपर ही होती हैं। चाहे वो मां के रूप में हो, बहन के रूप में हो, बीवी के रूप में हो, बेटी के रूप में हो, गर्लफ्रेंड के रूप में हो या किसी भी विषय पर ले लीजिए। जैसे हमारे यहां जब हम तिलक बारात में जाते हैं तो आपने भी सुना होगा क्योंकि अभी भी लोग करते हैं, हम लोग गाली सुनने के लिए औरतों को पैसे देते हैं। खुद ही हम नाम लिखकर ले जाकर देते हैं कि इनको गाली दो। तो कहीं ना कहीं हमारे कल्चर में भी गालियां हैं। शादी ब्याह की गालियां हमारे कल्चर का हिस्सा हैं।
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