राजनीति: आदिवासियों की बदहाली के लिए कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार केसी त्यागी
झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां जोरों पर है। पक्ष और विपक्ष दोनों ही चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जोर लगा रहे हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी को आदिवासी विरोधी बताया था। इस पर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने पीएम की बातों का समर्थन किया है।
नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएनएस)। झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां जोरों पर है। पक्ष और विपक्ष दोनों ही चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जोर लगा रहे हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी को आदिवासी विरोधी बताया था। इस पर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने पीएम की बातों का समर्थन किया है।
उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “स्वाधीनता के 75 साल बाद भी आदिवासियों के जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। कांग्रेस पार्टी का देश में लंबे समय तक शासन रहा। इसलिए आदिवासियों की बदहाली के लिए कांग्रेस पार्टी का शासन जिम्मेदार है।”
इसके बाद उन्होंने कनाडा में हिंदू मंदिर पर हुए हमले पर कहा कि इसके लिए कनाडा की सरकार जिम्मेदार है। उसका व्यवहार बहुत गैर-जिम्मेदाराना है। हमारे राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्ते भी उनसे खराब हो गए हैं। अब वहां हिंदू समुदाय के धार्मिक स्थलों पर हमला होना और नारेबाजी होना वह और भी ज्यादा निंदनीय है।
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को झारखंड के गढ़वा में विशाल चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राज्य की झामुमो-कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार को भ्रष्ट, विकास विरोधी और घुसपैठियों का संरक्षक करार दिया था।
उन्होंने कहा, "जब घुसपैठ का मामला कोर्ट में जाए और प्रशासन इससे इनकार करे तो समझ लीजिए कि सरकारी तंत्र में ही घुसपैठ हो चुकी है। ये आपकी रोटी, बेटी और माटी को हड़प रहे हैं। अगर यही कुनीति जारी रही, तो झारखंड में आदिवासी समाज का दायरा सिकुड़ जाएगा। आदिवासी समाज और देश की सुरक्षा के लिए यह गठबंधन खतरनाक है।"
इसके साथ ही कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर में हुए खालिस्तानी हमले की विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने निंदा की है।
उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “बीते दिन कनाडा के ब्रैम्पटन में हिन्दू मंदिर में हुआ हमला चिंता की बात है। चिंता इसलिए है क्योंकि वहां मंदिर प्रशासन ने भारतीय कांसुलेट से बात करके एक शिविर लगवाया था। जो इंडो-कैनेडियन लोगों की जरूरतों को भारतीय दूतावास से एक स्थान पर पूरा करता था। कांसुलेट ने तीन दिन पहले वहां के पुलिस प्रशासन को पत्र लिखा था। इसमें सुरक्षा मांगी गई थी। ऐसी मांग के बाद भी वह सुरक्षा क्यों नहीं की गई। यह पहली घटना नहीं है। इसके पहले ग्रेटर टोरेंटो एरिया में, ब्रिटिश कोलंबिया जैसे कई इलाकों के मंदिरों में हमले हो चुके हैं। इसलिए यह जो लगातार होने वाली घटनाएं हैं। यह प्रशासन की लापरवाही को सूचित करती हैं। दीपावली में हमने पीएम ट्रूडो का एक आधिकारिक मैसेज देखा। जो भारतीय हैं, वह वहां के माइग्रेंट्स में एक बड़ा ग्रुप हैं। उन्होंने कनाडा को बहुत समृद्ध किया है। ट्रूडो ने भारतीयों को सुरक्षा का आश्वासन दिया था। वह आश्वासन खोखला साबित हुआ है। वहां जानबूझ कर ढील बरती जा रही है। जस्टिन ट्रूडो मुश्किल में हैं। उनकी लोकप्रियता गिरती जा रही है। वह अपनी सरकार खालिस्तान समर्थक सांसदों के दम पर चला रहे हैं।”
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