राजनीति: बिहार आरसीपी सिंह की 'आप सब की आवाज' बन पाएगी लोगों की 'आवाज' या सिर्फ करेगी अन्य पार्टियों का नुकसान?
कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह बिहार की सियासत में नई पारी खेलने को लेकर राजनीति के मैदान में उतर गए हैं। सिंह ने नई पार्टी 'आप सब की आवाज' बनाकर न केवल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी बल्कि 140 सीटें भी तय कर दी। हालांकि इनकी नजर पहले अपने संगठन को मजबूत करने की है।
पटना, 1 नवंबर (आईएएनएस)। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह बिहार की सियासत में नई पारी खेलने को लेकर राजनीति के मैदान में उतर गए हैं। सिंह ने नई पार्टी 'आप सब की आवाज' बनाकर न केवल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी बल्कि 140 सीटें भी तय कर दी। हालांकि इनकी नजर पहले अपने संगठन को मजबूत करने की है।
आरसीपी सिंंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं, लेकिन राजनीति में इनकी पहचान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा दी गई। हालांकि नीतीश कुमार से मनमुटाव होने के बाद इन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और फिर भाजपा द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर दी।
पार्टी की घोषणा करने के बाद जिस तरह उन्होंने इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून और बिहार के शिक्षा के बदतर हालात पर सवाल उठाए, उससे साफ है कि राजनीति में उनके निशाने पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ही रहेगी। नीतीश कुमार और सिंह दोनों नालंदा जिले से ही आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सिंह जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं और नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना कर रहे है, उससे साफ है कि नीतीश की मुश्किलें बढ़ेंगी।
गौर करने वाली बात यह है कि गुरुवार को जब सिंह अपनी पार्टी 'आप सब की आवाज' बनाने की घोषणा कर रहे थे, तब उन्होंने 140 सीटों पर लड़ने की बात तो कह दी, लेकिन किस गठबंधन में शामिल होंगे, इसकी बात तक नहीं की। ऐसे में चर्चा यह भी है कि ये उन्हीं सीटों को टारगेट कर सकते हैं जिन पर जदयू अपने उम्मीदवार उतारेगी। पिछले चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी अकेले ही चुनावी मैदान में उतर कर जदयू को नुकसान पहुंचाया था।
सिंह कहते हैं कि उनकी पार्टी लोगों की आशा बनेगी। उन्होंने कहा कि बिहार का विकास उनका मुख्य लक्ष्य होगा। बिहार में उद्योग लगाने की प्राथमिकता होगी। बिहार में अनेक स्रोत है, लेकिन बिहार के लोग और नेता बालू से आगे नहीं बढ़ रहे हैं, जबकि यहां अनेक संभावना है। सोना का भंडार भी बिहार में है, यदि वो कुछ दिन मंत्री रहते तो उस पर भी काम शुरू हो जाता। सिंह का संगठन को बढ़ाने और मजबूत करने पर बल है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बूथ स्तर तक जाकर काम करेगी। हालांकि, एक साल में पार्टी कितनी मजबूत होगी इसे लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
बहरहाल, सिंह ने दीपावली के दिन अपनी पार्टी की घोषणा कर बिहार की राजनीति में हलचल तो मचा दी है, लेकिन उनकी पार्टी अगले साल तक लोगों के दिलों में कितना जगह बना पाएगी, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि यह तय माना जा रहा है कि सिंह की पार्टी कुछ पार्टियों का नुकसान का कारण तो बन ही सकती है।
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