अन्य खेल: पत्थर तोड़ने से डब्ल्यूडब्ल्यूई तक 'द ग्रेट खली' का शिमला से शोहरत तक का सफर
एक साधारण से गांव का लड़का, जो अंग्रेजी में भी कमजोर था, जापान और अमेरिका की पेशेवर कुश्ती की चमचमाती दुनिया का सितारा बन गया था। उस लड़के ने अंडरटेकर जैसे दिग्गज को हराया और वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट में हैवीवेट चैंपियन बनने का सपना भी साकार किया। ये कहानी है 'द ग्रेट खली' उर्फ जायंट सिंह उर्फ दलीप सिंह राणा की, जो 27 अगस्त को अपना 52वां बर्थडे मना रहे हैं।
नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। एक साधारण से गांव का लड़का, जो अंग्रेजी में भी कमजोर था, जापान और अमेरिका की पेशेवर कुश्ती की चमचमाती दुनिया का सितारा बन गया था। उस लड़के ने अंडरटेकर जैसे दिग्गज को हराया और वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट में हैवीवेट चैंपियन बनने का सपना भी साकार किया। ये कहानी है 'द ग्रेट खली' उर्फ जायंट सिंह उर्फ दलीप सिंह राणा की, जो 27 अगस्त को अपना 52वां बर्थडे मना रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गांव धिराइना में 1972 में पैदा हुए उस लड़के के पास तब सब कुछ बड़ा सामान्य और साधारण था। खास थी तो उसकी कद काठी। ऐसा शरीर जिसको लोग देखते तो हैरत में पड़ जाते। सात फुट एक इंच लंबा वह शरीर जो एक डिसऑर्डर के तौर पर इतना विशाल हुआ और बाद में यही कुदरत का वरदान भी साबित हुआ।
इसलिए जब सात भाई-बहनों में एक खली ने अपने गरीब परिवार का गुजारा चलाने के लिए शिमला में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की, तो कई लोगों की नजर उन पर पड़ी। इनमें एक थे पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी एमएस भुल्लर। यह 1993 का साल था जिसने 22 साल के दलीप राणा को द ग्रेट खली बनाने की नींव रख दी थी। भुल्लर ने राणा को पंजाब पुलिस में स्पोर्ट्स कोटा से कांस्टेबल की नौकरी दी।
मजे की बात यह है कि खली का काया का एडवांटेज लेने के लिए उनको कई तरह के स्पोर्ट्स में आजमाया गया था लेकिन वह लगभग सभी खेलों में फेल हो गए थे। लंबाई देखते हुए उन्हें बास्केटबॉल खिलाड़ी के तौर पर ढालने की कोशिश हुई, लेकिन नाकाम। शॉर्ट पुट थ्रो में कोशिश की तो कमर दर्द करने लगी। ऐसे में पंजाब पुलिस ने खली को बॉडीबिल्डिंग के लिए तैयार किया। जालंधर के जिम में खली ने अपने शरीर को तराशने का काम शुरू किया। भुल्लर ने खली की बॉडी और ताकत को देखते हुए उन्हें 1996 में यूएस भेज दिया। यहां डब्ल्यूडब्ल्यूई के रेसलरों के साथ खली की ट्रेनिंग हुई। फिर उन्होंने यहां से मुड़कर कभी वापस नहीं देखा।
यहीं से उनके नाम की कहानी भी शुरू होती है। डब्ल्यूडब्ल्यूई से पहले खली ने जापान की प्रो रेसलिंग में हिस्सा लिया था। जापान में वह 'जायंट सिंह' के नाम से जाने जाते थे। लेकिन जब वह अमेरिका पहुंचे, तो उनका नाम 'द ग्रेट खली' हो गया। खली का 'काली मां' में विश्वास था और विदेशी लोगों ने उन्हें 'काली' से 'खली' कर दिया। तब से लेकर अब तक वह हमारे जेहन में खली के तौर पर बस चुके हैं।
2006 में, खली डब्ल्यूडब्ल्यूई द्वारा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने पहले भारतीय पहलवान बने थे। शिमला में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी से पहले खली पत्थर तोड़ने का काम करते थे। पत्थर तोड़ने से मजबूत हुए ये हाथ जब डब्ल्यूडब्ल्यूई पहलवानों के सिर के ऊपर पड़े तो उनकी हालत हो जाती थी। बतिस्ता जैसे धाकड़ डब्ल्यूडब्यूई स्टार के सिर भी खली के हाथ की ग्रिप से नहीं बच पाए थे। इस तरह से पंजाब पुलिस में 5,000 रुपए मासिक वेतन पाने वाला कॉन्स्टेबल, एक दिन में इतने ही रुपए केवल अपनी डाइट पर खर्च कर देने वाला द ग्रेट खली बन गया था।
डब्ल्यूडब्ल्यूई में उन्होंने 2008 में वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप जीती थी। अपने डब्ल्यूडब्ल्यूई करियर में उन्होंने अंडरटेकर के अलावा जॉन सीना, बतिस्ता, शॉन माइकल्, केन जैसे सुपरस्टार्स को भी मात दी। उन्होंने अपने रेसलिंग करियर के अलावा अभिनय में भी हाथ आजमाए और हॉलीवुड व बॉलीवुड के कई प्रोजेक्ट में काम किया। वह टेलीविजन के पॉपुलर शो 'बिग बॉस' में भी नजर आ चुके हैं।
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