राजनीति: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के समर्थन में लोजपा (आर), लेकिन होनी चाहिए थी चर्चा सांसद शांभवी चौधरी
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की महिला सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि वो वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का समर्थन करती हैं, लेकिन इसपर और चर्चा होनी चाहिए थी।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की महिला सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि वो वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का समर्थन करती हैं, लेकिन इसपर और चर्चा होनी चाहिए थी।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल गुरुवार को संसद में पेश हो गया। इस संशोधन बिल पर लगातार सियासी घमासान जारी है। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल के समर्थन में है, लेकिन इस पर और चर्चा होनी चाहिए थी।
लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा, "हमारे संस्थापक रामविलास पासवान बिहार में अल्पसंख्यक समाज के लोगों की बुलंद आवाज थे। उन्होंने 2004 में कहा था कि बिहार का मुख्यमंत्री कोई मुसलमान होना चाहिए। समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। हमारी पार्टी इस बिल के सपोर्ट में है।"
बता दें विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' और 'मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2024' को पेश कर दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा नाम पुकारे जाने पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू जब सदन में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' को पेश करने के लिए खड़े हुए तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव सहित पूरा विपक्ष विरोध में सदन में खड़े हो गए।
विपक्षी दलों की तरफ से बोलते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल एवं इमरान मसूद, सपा से अखिलेश यादव एवं मोहिब्बुल्लाह, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी (शरद पवार) से सुप्रिया सुले और एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी के अलावा डीएमके, आईयूएमएल, सीपीआई, सीपीआई (एम), आरएसपी, वीसीके सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इसे संविधान और मुसलमान विरोधी बताते हुए विरोध किया।
वहीं, एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने सरकार का साथ करते हुए इस बिल का समर्थन किया। जेडीयू की तरफ से बोलते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि निरंकुश संस्था में पारदर्शिता लाना सरकार का काम है। यह बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। विपक्ष को मंदिर या संस्था में अंतर नजर नहीं आ रहा है।
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