राजनीति: अयोध्या में भाजपा के अहंकार की हार और 'अवधेश' की जीत कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश से लगा। बीजेपी जिन सीटों को हासिल करने का दावा कर रही थी, वहीं सीटें उनके हाथ से चली गईं। इनमें से एक है राम नगरी अयोध्या (फैजाबाद) वाली सीट। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई और जश्न का माहौल देखा गया। इस दौरान कई दिनों तक नारे गूंजे- 'जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे।'

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-07 05:43 GMT

अयोध्या, 7 जून (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश से लगा। बीजेपी जिन सीटों को हासिल करने का दावा कर रही थी, वहीं सीटें उनके हाथ से चली गईं। इनमें से एक है राम नगरी अयोध्या (फैजाबाद) वाली सीट। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई और जश्न का माहौल देखा गया। इस दौरान कई दिनों तक नारे गूंजे- 'जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे।'

ऐसे में पार्टी के सभी नेता मानकर चल रहे थे कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलेगा। वहीं चुनावी प्रचार के दौरान भी पीएम मोदी समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने राम मंदिर का जिक्र करते हुए लोगों से वोट देने को कहा। लेकिन अयोध्या की जनता ने भाजपा उम्मीदवार की जगह समाजवादी पार्टी नेता अवधेश प्रसाद पर भरोसा जताया। सपा उम्मीदवार ने 54,567 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी को हराया।

इंडिया गठबंधन के मिली जीत पर कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, ''देश भर का हमारा कांग्रेस का कार्यकर्ता राहुल गांधी के नेतृत्व में, खड़गे के नेतृत्व में और 'भारत जोड़ो यात्रा' के नेतृत्व में उत्साहित हुआ। हमने गांव-गांव जाकर जनता से बात की, उनकी समस्याएं सुनीं।''

उन्होंने आगे कहा, ''हमारे इंडिया गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं और उनके नेताओं ने हमारी पार्टी के नेताओं के साथ जो सहयोग दिखाया, यह उसी का परिणाम है कि हमने जीत हासिल की। अब जो भी कमी रही है, उसे पूरा किया जाएगा। हम सारे कार्यकर्ताओं को हाथ जोड़कर बारम्बार धन्यवाद देते हैं और जनता को भी खास धन्यवाद देते हैं।''

सुरेंद्र राजपूत ने कहा, ''अहंकार के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वह जिस तरह से अयोध्या की सीट हारे हैं, अंहकार हारा है और अवधेश जीते हैं। अवधेश भगवान श्रीराम का नाम है। वाराणसी में मोदी सिर्फ डेढ़ लाख वोटों से जीते हैं, वहीं स्मृति ईरानी अमेठी से हारी हैं। यह सब अहंकार है, जिसके कारण उन्हें हार मिली।''

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