राजनीति: पीएम मोदी और नीतीश की जोड़ी के सामने नहीं चल सकी तेजस्वी की 'सियासी चाल'
बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर अब स्थिति साफ हो गई है। अब तक जो स्थिति सामने आई है, उसमें महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है, जबकि भाजपा से कम सीटों पर लड़ने के बावजूद जदयू अधिक सीट जीतने जा रही है।
पटना, 4 जून (आईएएनएस)। बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर अब स्थिति साफ हो गई है। अब तक जो स्थिति सामने आई है, उसमें महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है, जबकि भाजपा से कम सीटों पर लड़ने के बावजूद जदयू अधिक सीट जीतने जा रही है।
वैसे, महागठबंधन को भी पिछले चुनाव से अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं। हालांकि गठबंधन की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी के सामने राजद के लालू यादव और तेजस्वी यादव की 'सियासी चाल' नहीं चल सकी।
एनडीए में शामिल जदयू पहली बार भाजपा से कम सीटों पर चुनाव लड़ी थी। भाजपा ने इस चुनाव में 17 सीटों पर जबकि जदयू 16 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, भाजपा जहां चार सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है जबकि 8 सीटों पर आगे है, वहीं दूसरी तरफ जदयू के तीन प्रत्याशी विजयी हुए हैं और नौ सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एक सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है तथा लोजपा (रामविलास) एक सीट जीत चुकी है और चार सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
महागठबंधन नौ सीटों पर आगे है या इसके प्रत्याशी जीत दर्ज कर चुके हैं। जिसमें राजद चार, कांग्रेस तीन और वामपंथी दलों के दो प्रत्याशी हैं। ऐसी स्थिति में स्पष्ट है कि बढ़त को भी अगर परिणाम माने तो एनडीए 30 और महागठबंधन के नौ और निर्दलीय एक सीट पर जीत सकते हैं।
परिणाम को देखें तो स्पष्ट है कि सोशल इंजीनियरिंग में माहिर रहे जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी राजद के अध्यक्ष लालू यादव और तेजस्वी पर भारी पड़े। तेजस्वी यादव ने इस चुनाव में भले ही 251 आमसभा कर सबसे ज्यादा सभा करने का रिकॉर्ड बनाया हो, लेकिन मतदाताओं को वो रिझा नहीं पाए।
मतदाताओं ने एनडीए के प्रत्याशियों पर अधिक विश्वास जताया। तेजस्वी इस चुनाव में अपना जादू नहीं चला सके।
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में 2019 के चुनाव में भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर अपने अपने प्रत्याशी उतारे थे। भाजपा अपने कोटे की सभी 17 सीटें जीती थीं और जदयू ने 16 तथा चिराग पासवान की पार्टी ने अपने कोटे की सभी छह सीटें जीती थीं। एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर परचम लहराया था। महागठबंधन में सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। उस चुनाव में राजद का खाता तक नहीं खुला था।
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