राजनीति: दाभोलकर हत्या मामले में आया फैसला, दो को उम्रकैद, तीन बरी

महाराष्ट्र के पुणे की एक विशेष अदालत ने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में 11 साल बाद अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने दो लोगों को दोषी ठहराया और तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-10 11:38 GMT

पुणे, 10 मई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के पुणे की एक विशेष अदालत ने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में 11 साल बाद अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने दो लोगों को दोषी ठहराया और तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।

दाभोलकर को गोली मारने वाले शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। प्रत्येक पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर मॉर्निंग वॉक पर निकले दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इस मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम से जुड़े मामलों की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.ए. जाधव ने यह फैसला सुनाया।

सीबीआई ने तावड़े पर इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया था। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक दाभोलकर कई वर्षों से ये संस्था चला रहे थे। उन्होंने अंधविश्वास उन्मूलन से संबंधित विभिन्न पुस्तकें प्रकाशित की थी और कई कार्यशालाओं का भी आयोजन किया था। इस हत्या के बाद काफी बवाल मचा था।

मामले में पुणे सत्र अदालत ने 15 सितंबर, 2021 को सभी पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। कोर्ट ने कहा कि दाभोलकर को खत्म करने की साजिश रची गई ताकि बड़े पैमाने पर लोगों के मन में डर पैदा किया जा सके और कोई भी 'अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति' का काम ना कर सके। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाह जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से सवाल-जवाब किए। अभियोजन पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलों में कहा कि आरोपी अंधविश्वास के खिलाफ दाभोलकर के अभियान के खिलाफ थे। शुरुआत में इस मामले की जांच पुणे पुलिस कर रही थी, लेकिन बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 2014 में सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और जून 2016 में हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े को गिरफ्तार कर लिया।

सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में शुरुआत में भगोड़े सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटर बताया था, लेकिन बाद में सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को गिरफ्तार किया और एक पूरक आरोपपत्र में दावा किया कि उन्होंने दाभोलकर को गोली मारी थी। इसके बाद, केंद्रीय एजेंसी ने अधिवक्ता संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को कथित सह-साजिशकर्ता के तौर पर गिरफ्तार किया। तावड़े, अंदुरे और कालस्कर जेल मे बंद हैं, जबकि पुनावलेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं।

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