समाज: कोविड महामारी के दौरान एक सामाजिक कार्यकर्ता को जब रात ढाई बजे आया पीएम मोदी का फोन

नरेंद्र मोदी को एक सख्त छवि वाले नेता के तौर पर सभी जानते हैं। लेकिन, उनके दूसरे पहलू के बारे में कम ही लोगों को पता है। उनके काम करने का तरीका, लोगों के साथ संबंधों को निभाने का तरीका, लोगों के बारे में ख्याल रखने का तरीका हो या फिर किसी भी चीज पर उनकी बारीक नजर हो, इस पहलू के बारे में कम ही लोग जान पाते हैं। ऐसे में दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उनके इस दूसरे पहलू के बारे में खुलकर बात की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-10 10:46 GMT

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। नरेंद्र मोदी को एक सख्त छवि वाले नेता के तौर पर सभी जानते हैं। लेकिन, उनके दूसरे पहलू के बारे में कम ही लोगों को पता है। उनके काम करने का तरीका, लोगों के साथ संबंधों को निभाने का तरीका, लोगों के बारे में ख्याल रखने का तरीका हो या फिर किसी भी चीज पर उनकी बारीक नजर हो, इस पहलू के बारे में कम ही लोग जान पाते हैं। ऐसे में दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उनके इस दूसरे पहलू के बारे में खुलकर बात की।

दरअसल, पीएम मोदी के बारे में उनके साथ काम करने वाले लोग कई बार बताते रहते हैं कि वह किस तरह से उनका ख्याल रखते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हों या फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, दोनों ने बताया था कि कैसे बुरे वक्त में पीएम मोदी उनके साथ खड़े रहे और उनका ख्याल रखा। वैसे ही दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता ने भी पीएम मोदी के इस पहलू के बारे में बताया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'मोदी स्टोरी' नाम के हैंडल पर पूर्व विधायक और सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह संटी का एक वीडियो नजर आ रहा है, जिसमें वह बता रहे हैं कि कैसे कोविड महामारी के दौरान पीएम मोदी का एक कॉल उनके लिए रात 2.30 बजे, उनके हौसले को बढ़ाने वाला बन गया था।

बता दें कि महामारी के सबसे कठिन समय में जब कोविड से मौत के बाद किसी व्यक्ति के परिजन भी अपने स्वजन का दाह संस्कार करने नहीं आ रहे थे। उस वक्त दिल्ली में एक सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह संटी दिन-रात लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार खुद करा रहे थे। उन्होंने बताया कि तब कोविड के उस भयानक दौर में जो भी फोन मेरे पास आ रहे थे, वह इसलिए आ रहे थे कि संटी जी संस्कार थोड़ा जल्दी करवा दीजिए।

उन्होंने बताया कि सीमापुरी के श्मशान घाट में लाशें बड़ी संख्या में आनी शुरू हो गई थीं। ऐसे में 21 दिन वह घर नहीं गए। जहां वह रहते थे, वहां उनके पड़ोसी इस बात पर आपत्ति जताते थे कि आप दिन भर श्मशान घाट में रहते हैं, ऐसे में आप अपने साथ वायरस लेकर घर आएंगे।

जितेंद्र सिंह संटी ने बताया कि जब वह रात के ढाई बजे श्मशान में लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे थे तब उनके ड्राइवर ने बताया कि सर, एक फोन आ रहा है और वह कह रहे हैं कि वह पीएमओ से बोल रहे हैं।

संटी ने आगे बताया कि उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि मेरे हाथ गंदे हैं तो तुम फोन मेरे कान पर लगा दो।

उन्होंने आगे बताया कि फोन पर दूसरी तरफ से आवाज आई संटी जी मैं आपको टीवी पर देख रहा हूं। सारा देश आपके साथ है। जो आप सेवा कर रहे हैं, लावारिस लाशों की, इसी तरह से डटकर आप सेवा करते रहिए।

संटी ने आगे कहा कि मैंने उनसे पूछा कि सर, आप कौन बोल रहे हैं? उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ से आवाज आई, मैं नरेंद्र मोदी बोल रहा हूं।

संटी ने बताया कि वह आश्चर्य में थे कि देश के प्रधान सेवक रात के ढाई बजे एक आम व्यक्ति को फोन कर रहे हैं और उसका हौसला बढ़ा रहे हैं।

संटी ने आगे कहा कि तब समझ में आया कि वह कितनी बारीकी से चीजों को देखते हैं। देश की उनको इतनी चिंता है। वह मेरे लिए सीखने की और ज्ञान की बात थी कि इंसान कितने भी बड़े ओहदे पर पहुंच जाए उसे अपनी जमीन नहीं छोड़नी चाहिए।

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