कानून: वकीलों ने 'न्यायपालिका पर दबाव' बनाने की कोशिश कर रहे समूह को लेकर सीजेआई को लिखा पत्र
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी सहित 600 से ज्यादा प्रतिष्ठित वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की है कि न्यायपालिका की अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी सहित 600 से ज्यादा प्रतिष्ठित वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की है कि न्यायपालिका की अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
पत्र में लिखा गया है कि एक खास ग्रुप है जो अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालता है, विशेष रूप से ऐसे मामलों को ये प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं जिनसे या तो नेता जुड़े हुए हैं या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ऐसे में इस ग्रुप के लोगों की गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया के लिए खतरा है।
वकीलों ने इस चिट्ठी में यह चिंता जाहिर की है कि एक विशेष ग्रुप द्वारा देश में न्यायपालिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में कानून को बनाए रखने के लिए काम करने वाले के रूप में, हम सोचते हैं कि यह हमारी अदालतों के लिए खड़े होने का समय है। अब हमें इसके खिलाफ एक साथ आने और गुप्त हमलों के खिलाफ बोलने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी अदालतें हमारे लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में सुरक्षित रहें।
चिट्ठी में वकीलों के ग्रुप का कहना है कि इस खास ग्रुप के लोगों द्वारा कई तरीकों से न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। न्यायपालिका के बारे में गलत नैरेटिव पेश करने के साथ ही अदालतों की कार्यवाहियों पर सवाल उठाना इनका काम है, जिसके जरिए अदालतों में जनता के विश्वास को कम किया जा सके।
चिट्ठी में यह भी लिखा गया है कि यह ग्रुप अपने राजनीतिक एजेंडे के आधार पर ही अदालत के फैसलों की सराहना या आलोचना करता है। इसके साथ ही इसी ग्रुप ने बेंच फिक्सिंग वाली थ्योरी भी गढ़ी है। इन वकीलों के ग्रुप ने आरोप लगाया है कि जब किसी नेता के भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं तो यह ग्रुप उनके बचाव में आ जाता है और फिर जब अदालत से इनके मनमाफिक फैसला नहीं आता तो ये कोर्ट के भीतर या फिर मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करने लगते हैं।
वहीं कई ऐसे भी तत्व इस ग्रुप में हैं जो जजों पर कुछ चुनिंदा मामलों में अपने पक्ष में फैसला देने के लिए दबाव डालने की कोशिश करते हैं। यह सब कुछ सोशल मीडिया पर झूठ फैलाकर किया जा रहा है।
वकीलों के ग्रुप ने चिट्ठी में लिखा है कि चुनावी सीजन में तो यह खास ग्रुप कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा कुछ देखने को मिला था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इन वकीलों ने गुहार लगाई है कि इस तरह के हमलों से अदालतों को बचाने के लिए सख्त और ठोस कदम उठाएं।
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