कानून: सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताई सुप्रीम कोर्ट में 'लंबित मामले बढ़ने' की सच्चाई

भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने उनके कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या बढ़ने के बारे में आरोपों के जवाब दिए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-08 18:37 GMT

नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने उनके कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या बढ़ने के बारे में आरोपों के जवाब दिए।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा उनके सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में सीजेआई ने कहा कि पिछले दो वर्षों में 1,11,000 मामले दर्ज किए गए, 5,33,000 मामले सूचीबद्ध किए गए और 1,07,000 मामलों का निपटारा किया गया।

उन्होंने कहा, "आपने शायद कहीं पढ़ा होगा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 82,000 हो गई है। मैं आपको मोटा-मोटी आंकड़े बताना चाहता हूं। नवंबर 2022 से पहले, अपंजीकृत/दोषपूर्ण मामलों को कभी भी सार्वजनिक डोमेन में नहीं रखा गया और उनका हिसाब नहीं रखा गया।"

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उन्होंने नवंबर 2022 में मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला, तो उन्होंने पाया कि रजिस्ट्रार की अलमारी में लगभग 1,500 फाइलें बंद पड़ी थीं।

उन्होंने कहा, "मैंने कहा कि इसे बदलना होगा। सिस्टम में आने वाले हर मामले को एक नंबर के साथ टैग किया जाना चाहिए। हमने सभी लंबित मामलों का डेटा सार्वजनिक डोमेन में डालने का फैसला किया, चाहे वह पंजीकृत हो या अपंजीकृत। लंबित मामलों की संख्या 1 जनवरी 2020 को 79,000 थी, जिनमें वे मामले भी शामिल हैं जिन्हें अब हम दोषपूर्ण मामले कहते हैं। यह संख्या 1 जनवरी 2022 को 93,000 तक पहुंच गई। इसके बाद 1 जनवरी 2024 को घटकर 82,000 रह गई। इसलिए इसमें पंजीकृत और अपंजीकृत दोनों तरह के मामले शामिल हैं और दो वर्षों में संख्या में 11,000 की कमी आई है।"

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत में मामलों के दाखिल होने की संख्या दोगुनी हो गई है और पिछले दो वर्षों में 21,000 जमानत याचिकाएं दायर की गईं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा 21,358 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया गया। अपने साथी न्यायाधीशों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनके प्रत्येक सहयोगी ने कर्तव्य की सीमा से आगे जाकर काम किया और मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके द्वारा दिए गए कार्य को स्वीकार किया।

देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर दो साल के कार्यकाल के बाद, सीजेआई चंद्रचूड़ 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्हें पहली बार 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 से 13 मई 2016 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने तक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए पास किया और कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। जून 1998 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने पिछले महीने अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की थी जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी। न्यायमूर्ति खन्ना 11 नवंबर देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।

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