राजनीति: ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, ‘रेप के आरोपियों को 15 दिन के भीतर मिले कड़ी सजा’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज मामले की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दुष्कर्म जैसे वीभत्स मामलों में संलिप्त आरोपियों के लिए 15 दिन के भीतर कठोर सजा के लिए कानून बनाने और महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने की मांग की है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-22 13:06 GMT

कोलकाता, 22 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज मामले की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दुष्कर्म जैसे वीभत्स मामलों में संलिप्त आरोपियों के लिए 15 दिन के भीतर कठोर सजा के लिए कानून बनाने और महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने की मांग की है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पत्र में लिखा है कि पूरे देश में बलात्कार के मामले नियमित रूप से सामने आते हैं। कई मामलों में हत्या के साथ बलात्कार भी होते हैं। देश में प्रतिदिन लगभग 90 बलात्कार के मामले समाज और राष्ट्र के आत्मविश्वास और विवेक को झकझोर देते हैं।

उन्होंने लिखा है कि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें, इसके लिए "ऐसे नृशंस अपराधों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ अनुकरणीय दंड का प्रावधान करने वाले कड़े केंद्रीय कानून" हों और ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना पर भी विचार किया जाना चाहिए ताकि सुनवाई 15 दिन के भीतर पूरी की जा सके।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम यहां आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इस नृशंस घटना को लेकर देशभर में डॉक्टरों के बीच आक्रोश देखने को मिल रहा है। पूरा देश एक सुर में इस घटना में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है। साथ ही महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने की दिशा में कदम उठाने की मांग कर रहा है।

बीते दिनों कलकत्ता हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा चुकी है। जांच एजेंसी अब तक इस मामले के संबंध में कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का स्वतः संज्ञान लेने के बाद सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में नेशनल टास्क फोर्स के गठन का निर्देश दिया था। इसमें वरिष्ठ डॉक्टरों और अधिकारियों की टीम को शामिल किया गया था।

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