राजनीति: झारखंड में वाम आंदोलन से उपजी दो पार्टियां हुईं एक, ‘इंडिया’ गठबंधन की बढ़ाएंगी ताकत

झारखंड में वाम आंदोलन का गहरा प्रभाव रहा है और राज्य की सियासत में भी वाम पार्टियां अपनी ताकत दिखाती रही हैं। अब ये पार्टियां एक बार फिर संगठनात्मक एकजुटता की दिशा में पहल कर रही हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-10 13:49 GMT

रांची, 10 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड में वाम आंदोलन का गहरा प्रभाव रहा है और राज्य की सियासत में भी वाम पार्टियां अपनी ताकत दिखाती रही हैं। अब ये पार्टियां एक बार फिर संगठनात्मक एकजुटता की दिशा में पहल कर रही हैं।

इसी कड़ी में शनिवार को दो पार्टियों सीपीआई (एमएल) और एमसीसी (मार्क्सवादी को-ऑर्डिनेशन कमेटी) का एकीकरण हो गया। दोनों पार्टियों की केंद्रीय कमेटियों की साझा बैठक के बाद एमसीसी के सीपीआई एमएल में विलय का ऐलान किया गया।

सीपीआई एमएल के पोलित ब्यूरो सदस्य सांसद राजाराम सिंह, मासस के कार्यकारी अध्यक्ष अरूप चटर्जी, हलधर महतो, मिथिलेश सिंह, मनोज भक्त और जनार्दन प्रसाद ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।

नेताओं ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि देश कॉर्पोरेट लूट, अति विकेंद्रीकरण और देश की बहुरंगी सांस्कृतिक-सामाजिक मूल्यों के खिलाफ संघी हमलों से जूझ रहा है। ऐसे में एमसीसी का सीपीआई एमएल के साथ विलय फासीवाद विरोधी आंदोलन को नई ताकत देगा।

बताया गया कि एकीकृत पार्टी आगामी 24 सितंबर को धनबाद में एकता रैली आयोजित करेगी। नेताओं ने कहा कि दोनों दल एक ही दौर में उभरे। 70 के दशक में जहां चारू मजूमदार के नेतृत्व में नक्सलबाड़ी में किसानों का संघर्ष प्रारंभ हुआ, वहीं दूसरी तरफ धनबाद में कोयला मजदूरों और विस्थापितों का आंदोलन एके राय के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ। दोनों पार्टियां झारखंड आंदोलन की शुरुआत से अग्रणी कतार में रही हैं। इस एकता से उत्तरी छोटानागपुर और झारखंड में संघर्षशील जनता का मनोबल बढ़ेगा।

झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दो वाम पार्टियों के एकीकरण को सियासी नजरिए से अहम घटनाक्रम माना जा रहा है। सीपीआई एमएल फिलहाल ‘इंडिया’ गठबंधन का घटक दल है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी वह गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेगी।

झारखंड में फिलहाल बगोदर विधानसभा सीट पर सीपीआई एमएल का कब्जा है, जहां से विनोद सिंह विधायक हैं। हाल में हुए लोकसभा चुनाव में विनोद सिंह कोडरमा लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन के साझा प्रत्याशी थे। वह 4 लाख 14 हजार 643 मत लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे।

उधर धनबाद में एमसीसी का अच्छा खासा प्रभाव रहा है। यहां की निरसा सीट से अरूप चटर्जी विधायक रहे हैं। एमसीसी के संस्थापक कॉमरेड एके राय धनबाद सीट से तीन बार सांसद और सिंदरी सीट से तीन बार विधायक रहे थे।

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