राष्ट्रीय: शिवबा संगठन के नेता जरांगे पाटिल फिर से भूख हड़ताल पर जाने के लिए तैयार

मराठा आरक्षण के लिए लड़ रहे शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि वह 10 फरवरी से भूख हड़ताल पर जाएंगे।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-05 11:46 GMT

जालना (महाराष्ट्र), 5 फरवरी (आईएएनएस)। मराठा आरक्षण के लिए लड़ रहे शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि वह 10 फरवरी से भूख हड़ताल पर जाएंगे।

मीडिया के सामने आपनी मांगों को दोहराते हुए जरांगे पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार 27 जनवरी को उन्हें दिए गए मसौदे पर अपने वादों को तुरंत लागू करे और मराठों को आरक्षण देने पर काम शुरू करे।

मराठा नेता ने कहा, "सरकार के साथ-साथ विपक्षी समूहों के मुट्ठी भर 10-20 असंतुष्ट लोगों ने मेरे खिलाफ बोलने और सोशल मीडिया पर मुझ पर हमला करने का ठेका ले लिया है। वे मुझसे ईर्ष्या करते हैं और मुझसे नाराज हैं, यह लड़ाई मराठों के लिए है, लेकिन अगर वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आए, तो मैं उनकी पार्टियों और नेताओं के साथ उनके नाम भी उजागर कर दूंगा।”

उन्होंने कहा कि ये लोग ऐसे मुद्दे उठाते रहते हैं कि मराठों को क्या मिला? या इस लंबे आंदोलन से मराठों ने क्या खोया है?

जरांगे पाटिल ने कहा, ''वे मुझे किनारे करने की बेताब कोशिशें कर रहे हैं। लेकिन मैं तब तक अलग नहीं होऊंगा जब तक मेरे मराठा भाई मुझे नहीं बताते कि ये श्रेय लेना चाहते हैं और इस तरह की रणनीति का सहारा ले रहे हैं।''

उन्होंने उन लोगों की भी आलोचना की जो मराठों के हित को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। उन्‍होंने कहा कि मुट्ठी भर लोग इस तथ्य को पचाने में असमर्थ हैं कि एक गरीब परिवार का व्यक्ति समुदाय के आरक्षण के लिए लड़ रहा है। उन्हें चिंता है कि अगर मैं नहीं टूटा और आंदोलन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो वे मराठों के बीच अपनी प्रतिष्ठा खो देंगे।

उन्‍होंने आगे कहा, “मैं जहां भी जाता हूं, लोग हमेशा मराठा आरक्षण की बात करते हैं। समुदाय के हित के लिए मैं 10 फरवरी से अपनी भूख हड़ताल पर आगे बढ़ूंगा।"

इसके साथ ही विरोधी ओबीसी समूहों ने भी अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी है, खासकर तब जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अलग हुए मंत्री छगन भुजबल ने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने 16 नवंबर को ही अपना पद छोड़ दिया था। उनका त्याग पत्र अभी भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है।

अपनी ओर से, शिंदे ने बार-बार आश्वासन दिया है कि मराठा कोटा अन्य समुदायों की हिस्सेदारी को प्रभावित किए बिना दिया जाएगा।

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