पर्यावरण: पर्यावरण को होने वाले नुकसान के लिए ग्लोबल साउथ जिम्मेदार नहीं पीयूष गोयल
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि वैश्विक पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए ग्लोबल साउथ जिम्मेदार नहीं है। यह नुकसान उन विकसित देशों के कारण हुआ है, जिन्होंने कम लागत वाली ऊर्जा का लाभ उठाया।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि वैश्विक पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए ग्लोबल साउथ जिम्मेदार नहीं है। यह नुकसान उन विकसित देशों के कारण हुआ है, जिन्होंने कम लागत वाली ऊर्जा का लाभ उठाया।
मंत्री गोयल ने सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन 2024 के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए यह बात कही। इटली, इजरायल, भूटान, बहरीन, अल्जीरिया, नेपाल, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, कतर के व्यापार मंत्री और कंबोडिया के वाणिज्य मंत्रालय के राज्य सचिव शिखर सम्मेलन में भागीदार देश हैं।
मंत्री गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पर्यावरण के प्रति प्रत्येक भागीदार देश की साझा जिम्मेदारियां हैं, लेकिन शिखर सम्मेलन में उपस्थित देश पर्यावरण को होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
उन्होंने कहा, साझा आपूर्ति श्रृंखलाओं और स्थिरता के प्रति जिम्मेदारियों को साझा, लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारी के माध्यम से पूरा करना होगा।
उन्होंने कहा कि हालांकि सभी को मिलकर काम करना होगा, लेकिन पर्यावरण समस्या में उनके योगदान के आधार पर सभी को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ के देशों का एक विश्वसनीय साझेदार है।
सत्र में सामान्य विषयों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा अंतरिक्ष, उपग्रह और स्थिरता के बारे में सबसे अधिक बात की गई और इस बात पर जोर दिया गया कि आज दुनिया को इन चर्चाओं की आवश्यकता है।
भागीदार देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के बारे में बोलते हुए मंत्री ने भविष्य के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तरलता की आवश्यकता पर जोर दिया।
गोयल ने कहा, "उपभोग अपशिष्ट दुनिया को रहने के लिए बेहतर जगह नहीं बना सकता है और दुनिया को जीवनशैली और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था पर विचार करना होगा। एक अच्छी जीवनशैली के लिए हमें अपशिष्ट और हमारे द्वारा छोड़े जाने वाले कार्बन पदचिह्न के बारे में सचेत रहना होगा।"
मंत्री ने दुनिया भर में सभी विकास गतिविधियों के मूल में समावेशिता की बात भी कही।
उन्होंने जोर देकर कहा कि नवाचार, उद्योग, बुनियादी ढांचा, निवेश और पहल देशों को अधिक समावेशी बनने में मदद करेंगे।
उन्होंने विकास और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए भागीदार देशों के बीच वैश्विक व्यापार और पर्यटन को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने ऊर्जा को दुनिया में आर्थिक विकास के लिए चालक और सबसे बड़ा योगदानकर्ता के रूप में भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा भविष्य का निर्धारण करेगी।
शिखर सम्मेलन पर विचार करते हुए मंत्री ने कहा कि भागीदार देशों के बीच तालमेल से दुनिया को एकता का संदेश मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति और संवाद के पक्ष में रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुझाए गए कूटनीति को आज दुनिया के सामने मौजूद भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रोत्साहित करना होगा और भागीदार देशों को आम शांति और समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे के हितों के साथ तालमेल बिठाना होगा।
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