विज्ञान/प्रौद्योगिकी: ईपीएफओ लाखों लोगों को वित्तीय रूप से बना रहा सबल केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने देश भर के लाखों सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा देने और वित्तीय रूप से सबल बनाने का काम किया है।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने देश भर के लाखों सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा देने और वित्तीय रूप से सबल बनाने का काम किया है।
राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम में अपने मुख्य भाषण में डॉ. मांडविया ने ईपीएफओ की परिवर्तनकारी यात्रा की सराहना की। उन्होंने ईपीएफओ द्वारा अपने सदस्यों के विशाल कोष का प्रबंधन करने को भी सराहा और पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों को बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
केंद्रीय मंत्री ने मजबूत आईटी प्लेटफॉर्म, शिकायत प्रबंधन के लिए कुशल प्रणाली और सेवा वितरण के सदस्य केंद्रित मॉडल के कार्यान्वयन के महत्व पर भी जोर दिया।
डॉ. मांडविया ने ईपीएफओ कर्मचारियों से संगठन के नारे "हम हैं ना" को अपनाने का आग्रह किया और उन्हें लोगों की सेवा करने के उनके कर्तव्य की प्रतिदिन याद दिलाई।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सच्ची सेवा का पैमाना कर्मचारियों द्वारा जरूरतमंद की समयानुसार मदद होती है।
केंद्रीय मंत्री ने सेवाओं की अंतिम छोर तक डिलीवरी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए पेंशन कवरेज बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने ईपीएफओ के अधिकारियों और कर्मचारियों से सदस्यों की सेवा में ईमानदारी, समर्पण, सहानुभूति और व्यावसायिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने का आह्वान किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "संगठन के भीतर निरंतर कौशल वृद्धि और क्षमता निर्माण के प्रयास उभरती चुनौतियों के अनुकूल होने और सेवा वितरण में सुधार के लिए सर्वोपरि हैं।"
इस बीच, ईपीएफओ में योगदान देने वाले सदस्यों की संख्या 202-2023 में 6.85 करोड़ से 7.6 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 7.37 करोड़ हो गई है, जबकि इस अवधि के दौरान संगठन में योगदान देने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 6.6 प्रतिशत बढ़कर 7.66 लाख हो गई है।
ईपीएफओ ने पिछले वर्ष के 3,390 करोड़ रुपये के इसी आंकड़े की तुलना में बकाया राशि की वसूली में 55.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी, जो 5,268 करोड़ रुपये हो गई।
पिछले वर्ष की तुलना में निपटाए गए दावों की संख्या में भी 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि कार्यकारी समिति ने रिपोर्ट को केंद्रीय बोर्ड द्वारा अपनाने की सिफारिश की।
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