पर्यावरण: छत्तीसगढ़ में हाथियों का आतंक, 4 लोगों को कुचलकर उतारा मौत के घाट
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में जंगली हाथियों का आतंक जारी है। यहां एक जंगली हाथी ने एक ग्रामीण के घर पर हमला कर दिया और एक ही परिवार के तीन सदस्यों समेत चार लोगों को कुचलकर मार डाला।
जशपुर (छत्तीसगढ़), 10 अगस्त (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में जंगली हाथियों का आतंक जारी है। यहां एक जंगली हाथी ने एक ग्रामीण के घर पर हमला कर दिया और एक ही परिवार के तीन सदस्यों समेत चार लोगों को कुचलकर मार डाला।
घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई और मामले में मुआवजा प्रकरण तैयार कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, यह पूरी घटना जिले के बगीचा वन परिक्षेत्र अंतर्गत नगर पंचायत वार्ड क्रमांक 9 गम्हरिया की है। इस मामले में मृतकों के परिजन ने बताया कि शुक्रवार देर रात करीब 12 बजे एक जंगली हाथी ने गम्हरिया गांव में एक ग्रामीण के घर पर हमला कर दिया और घर तोड़ने लगा। घर टूटने की आवाज सुनकर पिता-पुत्री बाहर निकले और हाथी को देखते ही चिल्लाने लगे।
इस दौरान हाथी ने उन पर हमला कर दिया, उन्हें सूंड से उठाकर जमीन पर पटक दिया और पैरों से कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। वहीं जब परिवार का एक सदस्य उन्हें बचाने निकला तो वह भी जंगली हाथी की चपेट में आ गया और हाथी ने उसे भी मार डाला। इस दौरान चीख-पुकार सुनकर मौके पर पहुंचे पड़ोसी को भी हाथी ने मार डाला।
जशपुर डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय ने बताया कि बगीचा वन परिक्षेत्र समेत पूरे जिले में जंगली हाथियों का समूह पिछले दो महीने से घूम रहा है। पिछले कुछ दिनों से 40 हाथियों का समूह अलग-अलग इलाकों में घूम रहा है। हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वनकर्मियों और हाथी मित्रों को हाथियों के पीछे तैनात किया गया है। इसमें एक अकेला नर हाथी भी है। एक अकेला नर हाथी एक दिन में कम से कम 25 किलोमीटर घूमने की क्षमता रखता है और यह इंसानों के प्रति ज्यादा आक्रामक होता है।
उनकी सुरक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि बिजली विभाग को गांव में लगातार बिजली देने को कहा गया है। इससे रात में गांव रोशन रहेगा और लोग सतर्क रहेंगे।
फिलहाल वन विभाग की टीम मौके पर है और हाथी के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलकर मुआवजा प्रकरण तैयार कर रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इन चार लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। कब तक हाथियों के हमले में लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे। क्या शासन-प्रशासन के पास मानव-हाथी संघर्ष को रोकने का कोई उपाय नहीं है?
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