राजनीति: एनडीए सरकार के कारण जम्मू-कश्मीर आतंक की जगह आकांक्षाओं का राज्य बना विजय कुमार सिन्हा
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आर्टिकल-370 हटने के बाद बीते पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में शांति, स्थिरता और विकास का अभूतपूर्व वातावरण बना है। पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जो सामाजिक और आर्थिक विकास देखने को मिल रहा है, उसने एक बार फिर सिद्ध किया है कि 'मोदी है तो मुमकिन है।'
पटना, 5 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आर्टिकल-370 हटने के बाद बीते पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में शांति, स्थिरता और विकास का अभूतपूर्व वातावरण बना है। पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जो सामाजिक और आर्थिक विकास देखने को मिल रहा है, उसने एक बार फिर सिद्ध किया है कि 'मोदी है तो मुमकिन है।'
उन्होंने कहा कि आर्टिकल-370 और 35 (ए) की समाप्ति की पहल कर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने वास्तविक रूप से देश का 'राजनीतिक एकीकरण' किया। 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर राजनीतिक व्यवस्था के मामले में पूरी तरह अलग था। चंद परिवार राज्य को अपनी मिल्कियत की तरह चलाते थे। केंद्र सरकार की जिन योजनाओं का लाभ पूरे देश की जनता को मिलता था, उससे जम्मू-कश्मीर की डेढ़ करोड़ जनता वंचित रह जाती थी। आरक्षण का लाभ वहां के दलित और आदिवासी समाज के लोग नहीं ले पाते थे।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में इस इलाके की पूरी दशा और दिशा बदल गई है। राज्य में स्थानीय निकाय के निष्पक्ष चुनाव हुए, वहां के दलित और आदिवासी समुदाय ने पहली बार अपने अधिकारों का लाभ लिया, आज राज्य के युवा शिक्षा और रोजगार की ओर बड़ी तेजी से उन्मुख हुए हैं, राज्य के कर्मचारियों तथा पुलिस बल को अन्य राज्यों के समकक्ष सेवा शर्तें मिलनी शुरू हुई है और हमारी नारी शक्ति को पहली बार उनका संवैधानिक अधिकार और जायज सम्मान मिला। आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में रिकॉर्ड संख्या में देश-विदेश के पर्यटक आ रहे हैं और निवेश के अनुकूल माहौल बना है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में हुए प्रयास ने सरदार पटेल, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ करोड़ों भारतीय के सपनों को तो पूरा किया ही है, साथ ही 'धर्मनिरपेक्षता की दुकान' चलाने वाली स्वार्थी ताकतों को भी आईना दिखाया है। वोट बैंक के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों ने पहले जम्मू-कश्मीर की आंतरिक समस्या को एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बना दिया, फिर देश विरोधी ताकतों को अपने स्वार्थ के लिए पोषित कर राज्य को आतंक की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया था। यही वे लोग हैं, जिन्होंने पांच साल पहले संसद से लेकर अदालत तक केंद्र सरकार की ऐतिहासिक पहल को चुनौती देने का प्रयास किया था। लेकिन, आज पांच वर्ष बाद जम्मू-कश्मीर के विकास कार्यों ने और वहां की जनता के रुझानों ने सारे आलोचकों की बोलती बंद कर दी है।
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