अंतरराष्ट्रीय: पाकिस्तान की इस्लामिक विचारधारा परिषद ने वीपीएन के इस्तेमाल को 'गैर-इस्लामी' बताया
पाकिस्तान की इस्लामिक विचारधारा परिषद (सीआईआई) ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के इस्तेमाल को गैर-इस्लामी बताया है। इसके अलावा, सीआईआई ने "अनैतिक और ईशनिंदा" वाली सामग्री तक पहुंच को रोकने के लिए कोई भी कदम उठाने के लिए सरकार का समर्थन किया है। पाकिस्तान में लाखों इंटरनेट यूजर वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं, खासकर तब जब सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इस्लामाबाद, 16 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान की इस्लामिक विचारधारा परिषद (सीआईआई) ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के इस्तेमाल को गैर-इस्लामी बताया है। इसके अलावा, सीआईआई ने "अनैतिक और ईशनिंदा" वाली सामग्री तक पहुंच को रोकने के लिए कोई भी कदम उठाने के लिए सरकार का समर्थन किया है। पाकिस्तान में लाखों इंटरनेट यूजर वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं, खासकर तब जब सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।
सीआईआई के चेयरमैन रागिब नईमी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अनैतिक या आपत्तिजनक सामग्री तक पहुंच प्रतिबंधित करना इस्लाम के सिद्धांतों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों को दरकिनार करने या प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंचने के लिए वीपीएन का उपयोग इस्लामिक लॉ के तहत अस्वीकार्य है।
नईमी ने कहा कि वीपीएन यूजरों को अपनी पहचान और स्थान छिपाने की अनुमति देती है, जिससे अक्सर सरकार द्वारा अवरुद्ध वेबसाइटों तक पहुंच मिलती है। इस्लामी कानून में किसी भी कार्रवाई की अनुमति उसके उद्देश्य और तरीके पर निर्भर करती है।
उन्होंने कहा कि वीपीएन यूजर की पहचान छिपाने के कारण डिजिटल चोरी सहित अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है, जो इस्लामी और सामाजिक कानूनों का उल्लंघन है। वीपीएन का उपयोग पापपूर्ण कार्यों में सहायता करना है, जो इस्लामी नैतिकता के विरुद्ध है।
वीपीएन के उपयोग पर सीआईआई की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर अनुचित, यौन और निषिद्ध सामग्री तक पहुंचने के प्रयास किए गए हैं।
पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण की मानें तो पाकिस्तानियों द्वारा वीपीएन का उपयोग करके प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंचने के लिए कम से कम पांच अरब प्रयास किए गए हैं।
दूसरी तरफ, सरकार का कहना है कि वह सोशल मीडिया वेबसाइटों और वीपीएन नेटवर्कों को पंजीकृत करने की प्रक्रिया में है और देश में अपंजीकृत वीपीएन का उपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
सरकार का यह भी कहना है कि वीपीएन का व्यापक उपयोग इंटरनेट कनेक्शन की कम बैंडविड्थ का एक कारण है।
इसमें यह भी खुलासा हुआ कि आतंकवादियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल गलत सूचना, फर्जी खबरें, फर्जी दावे फैलाने और यहां तक कि देश में अपनी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के बारे में शेखी बघारने के लिए किया है, जिसके चलते अधिकारियों को कार्रवाई करनी पड़ी और ऐसे सभी तत्वों की पहुंच को अवरुद्ध करना पड़ा।
इंटरनेट कनेक्शन पर अंकुश लगाने और फायरवॉल तैनात करके सोशल मीडिया के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के सरकार के कदम की पाकिस्तानी नागरिकों ने कड़ी आलोचना की है और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने इसे चुनौती दी है।
माना जाता है कि सीआईआई का नवीनतम बयान निश्चित रूप से पाकिस्तान में वीपीएन, इंटरनेट और सोशल मीडिया तक पहुंच के खिलाफ सरकार की नीतियों को और अधिक मजबूती देगा।
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