विज्ञान/प्रौद्योगिकी: चंद्रमा पर खोज के लिए भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को बनाया जाएगा प्रक्षेपण केंद्र इसरो प्रमुख
भारत जल्द ही लैंडर प्रौद्योगिकी में महारत हासिल कर लेगा, साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को चंद्रमा पर खोज के लिए लॉन्चिंग प्वाइंट बनाने की भी तैयारी है। यह बात भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कही।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत जल्द ही लैंडर प्रौद्योगिकी में महारत हासिल कर लेगा, साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को चंद्रमा पर खोज के लिए लॉन्चिंग प्वाइंट बनाने की भी तैयारी है। यह बात भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कही।
वह नई दिल्ली के रंग भवन में आकाशवाणी द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान 2024 में ‘भारतीय अंतरिक्ष यात्रा: नई सीमाओं की खोज’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।
अपने व्याख्यान में, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक सोमनाथ ने भारत के अंतरिक्ष विजन 2047 के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग के मिशन के बारे में भी विस्तार से बाताया।
डॉ. सोमनाथ ने "चंद्रमा पर खोज के लिए लॉन्चिंग पॉइंट के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अंतरिक्ष स्टेशन की अवधारणा" को पेश करते हुए कहा, "इसरो ने लैंडर तकनीक में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।" उन्होंने रियूजेबल रॉकेट के विकास के बारे में भी विस्तार से बात की और भविष्य के अन्वेषण की योजनाओं के बारे में बाताया। इसमें चंद्रमा और मंगल पर सफल मिशनों के बाद शुक्र की कक्षा, सतह का अध्ययन करने के लिए मिशन शामिल थे।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष मिशनों के अलावा, इसरो प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, उपग्रह संचार और नेविगेशन में देश की अनुप्रयोग आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
बता दें कि इसरो ने शुरू से ही उपग्रहों, अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों और संबंधित जमीनी खंडों के निर्माण में स्वदेशी क्षमताओं का विकास किया है।
साथ ही इसरो चीफ सोमनाथ ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की भी प्रशंसा की और इसे “मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की अदम्य भावना और प्रतिबद्धता का प्रमाण” बताया।
उन्होंने कहा," देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक ऐसे विश्व को प्रेरित और आकार देता रहेगा, जहां अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक सुरक्षित और बेहतर ग्रह को बढ़ावा देती है।
बता दें कि भारत के सार्वजनिक सेवा प्रसारक प्रसार भारती द्वारा आकाशवाणी भवन सभागार में आयोजित इस व्याख्यान में 600 से अधिक कॉलेज छात्रों ने भाग लिया।
यह प्रतिष्ठित वार्षिक व्याख्यान कार्यक्रम भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष में आयोजित की जाती है। इसकी शुरुआत 1955 में श्री सी. राजगोपालाचारी के उद्घाटन भाषण से हुई थी।
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