राजनीति: बांग्लादेश संकट के बीच पेट्रापोल लैंड पोर्ट से माल की आवाजाही रुकी, 250 से ज्यादा भारतीय ट्रक फंसे

बांग्लादेश में उत्पन्न संकट के मद्देनजर भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल लैंड पोर्ट से माल की आवाजाही सोमवार को बंद कर दी गई।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-05 14:35 GMT

नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में उत्पन्न संकट के मद्देनजर भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल लैंड पोर्ट से माल की आवाजाही सोमवार को बंद कर दी गई।

वे सभी लॉरी ड्राइवर जो भारत से बांग्लादेश गए थे, उन्हें बीएसएफ द्वारा बांग्लादेश से भारत वापस लाया गया। सभी को पेट्रापोल बॉर्डर से 500 मीटर दूर रोका गया है। साथ ही बीएसएफ को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सीमा के उस पार बांग्लादेश की ओर 250-300 भारतीय ट्रक फंसे हुए हैं।

बांग्लादेश की सीमा पर भारतीय हिस्से में स्थित पेट्रापोल लैंड पोर्ट के क्लियरिंग एजेंट्स स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव कार्तिक चक्रवर्ती ने बताया कि बांग्लादेश की तरफ 250-300 भारतीय ट्रक फंसे हुए हैं।

उन्होंने कहा, "आज दोपहर 3.30 बजे ट्रकों और माल की सभी आवाजाही, आयात और निर्यात बंद हो गई। बांग्लादेश में स्थिति अस्थिर है। वहां भी डर और घबराहट का माहौल है। करीब 250-300 भारतीय ट्रकों को अभी माल उतारना बाकी है। हम बांग्लादेश के नये प्रशासन से ट्रकों, माल और ड्राइवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं।"

पिछले महीने बांग्लादेश में विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो जाने के कारण पेट्रापोल से माल की आवाजाही 20 जुलाई को बंद कर दी गई थी, जो 24 जुलाई को फिर से शुरू हो गई।

औसतन, हर दिन 450-500 ट्रक भारत से बांग्लादेश के लिए पेट्रापोल (दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लैंड पोर्ट) के रास्ते जाते हैं। लगभग 150-200 ट्रक दूसरी तरफ से आते हैं। हर साल, लगभग 22 लाख लोग पेट्रापोल चेकपॉइंट के जरिये सीमा पार करते हैं।

पेट्रापोल के जरिये भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले सामानों में सूती कपड़े, मोटर वाहनों के सामान, धागा, सिंथेटिक फाइबर, दोपहिया वाहन, मशीनरी पार्ट्स, कागज, अनाज और अन्य खाद्य उत्पाद शामिल हैं। जूट, रेडीमेड वस्त्र, सुपारी और चावल की भूसी उन सामानों में शामिल हैं, जिन्हें भारत बांग्लादेश को निर्यात करता है।

बांग्लादेश सरकार ने रविवार को एक अधिसूचना के जरिये जरूरी सेवाओं को छोड़कर तीन दिवसीय व्यापार अवकाश की घोषणा की थी।

भारी उथल-पुथल और हिंसा के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया। उग्र प्रदर्शन के बीच वह देश छोड़कर भारत आ गई हैं। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने घोषणा की कि शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और देश को चलाने के लिए जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। उन्होंने नागरिकों से सेना पर भरोसा रखने का आग्रह किया।

वर्ष 1971 में खूनी गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में एक महीने से छात्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। पिछले महीने हिंसक हो गया था। सरकार विरोधी प्रदर्शन में अब तक कम से कम 300 लोग मारे जा चुके हैं। रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और एक हजार से अधिक घायल हो गये थे।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण को घटाकर पांच प्रतिशत करने के बाद, छात्र नेताओं ने प्रदर्शन रोक दिया। लेकिन भड़के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने उनके सभी नेताओं को रिहा करने के उनके आह्वान को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने पीएम हसीना से इस्तीफे की मांग की थी।

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