दुर्घटना: पीजीआई चंडीगढ़ में पहुंचे आतिशबाजी में घायल 21 मरीज

पीजीआई चंडीगढ़ के एडवांस आई सेंटर में पिछले 48 घंटे में आतिशबाजी में घायल 21 मरीज आए। इन मरीजों में ज्यादातर नाबालिग थे।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-01 13:55 GMT

चंडीगढ़, 1 नवंबर (आईएएनएस)। पीजीआई चंडीगढ़ के एडवांस आई सेंटर में पिछले 48 घंटे में आतिशबाजी में घायल 21 मरीज आए। इन मरीजों में ज्यादातर नाबालिग थे।

अस्पताल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि मरीजों की संख्या में कमी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में विशेषज्ञ टीमों द्वारा त्वरित हस्तक्षेप, जन जागरूकता में चल रहे सुधार और त्वरित इलाज को दर्शाती है।

इन 21 मरीजों में से 12 की उम्र 14 साल से कम है। सबसे छोटी बच्ची तीन साल की है। आठ मरीज ट्राइसिटी के पंचकूला और मोहाली से हैं, बाकी मरीज पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा (चार-चार) और हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान (एक-एक) से हैं।

इनमें से 12 मरीज ऐसे हैं जो पटाखे फोड़ने वाले लोगों के साथ खड़े थे। बाकी खुद पटाखे फोड़ रहे थे। पटाखों के प्रकारों में 'तिल्ली' बम, 'पुतली' बम, 'स्काई शॉट', 'बिच्छू' बम, 'अनार', 'आलू' बम और 'फुलझड़ी' शामिल थे।

अस्पताल ने कहा कि कुल 21 मरीजों में से छह को सर्जरी की जरूरत थी और सभी का ऑपरेशन किया गया है।

इसके अलावा पीजीआईएमईआर के ट्रॉमा सेंटर में दिवाली से जुड़े पांच जलने के मामले भी देखे गए। इनमें से एक 18 महीने के बच्चे का दाहिना हिस्सा 30 प्रतिशत जल गया था और एक 16 साल की लड़की का शरीर का ऊपरी हिस्सा 50-55 प्रतिशत जल गया था।

दोनों की हालत स्थिर हो गई है और अब उन्हें आगे की देखभाल के लिए बर्न आईसीयू में रखा गया है। अन्य तीन मरीजों की देखभाल की जा रही है और इलाज किया जा रहा है।

दिवाली से संबंधित चोटों की आशंका को देखते हुए पीजीआईएमईआर के एडवांस आई सेंटर ने 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक पटाखों से होने वाली चोटों के मामलों में तत्काल उपचार सुनिश्चित करने के लिए विशेष आपातकालीन प्रोटोकॉल सक्रिय किए।

मरीजों का तुरंत इलाज करने के लिए दो अलग-अलग टीमें बनाई गईं। रेटिना, कॉर्निया, ग्लूकोमा और ऑकुलोप्लास्टी सब-स्पेशलिटी की एक टीम को एडवांस आई सेंटर की इमरजेंसी में पहुंचते ही घायल मरीजों की देखभाल के लिए तैनात किया गया।

सर्जरी की जरूरत वाले मरीजों को तुरंत स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि उन्हें तत्काल इलाज प्रदान किया गया।

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