पर्यावरण: प्रदूषण के स्रोतों का आकलन करने के लिए 11 शहरों ने अध्ययन पूरा किया
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया है कि देश के 11 शहरों ने वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को प्राथमिकता देने के साथ ही साथ प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का आकलन करने के अध्ययन पूरा कर लिया है।
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया है कि देश के 11 शहरों ने वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को प्राथमिकता देने के साथ ही साथ प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का आकलन करने के अध्ययन पूरा कर लिया है।
इन 11 शहरों में पटना, दिल्ली, बद्दी, धनबाद, भोपाल, ग्वालियर, नवी मुंबई, मंडी गोबिंदगढ़, लुधियाना, गाजियाबाद और लखनऊ शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा कि शहरों को पीएम10 के स्तर में वार्षिक वायु प्रदूषण न्यूनीकरण लक्ष्य प्रदान किए गए हैं ताकि 2025-26 तक 40 प्रतिशत तक की समग्र कमी हासिल की जा सके या राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को प्राप्त किया जा सके।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अंतर्गत 19 शहरों को शामिल किया गया है और कार्य योजनाओं की नियमित निगरानी और कार्यान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर समितियां गठित की गई हैं जिसमें मुख्य सचिव के अधीन संचालन समिति, पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रधान सचिव के अधीन वायु गुणवत्ता निगरानी समिति और जिला कलेक्टर या नगर आयुक्त के अधीन जिला/शहर स्तरीय निगरानी और कार्यान्वयन समिति शामिल है।
केंद्र द्वारा एनजीटी को दिए एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) में कहा गया है, "इन 19 शहरों के लिए 2019-20 से 2023-24 तक एनसीएपी के तहत 1,701.54 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है और इन शहरों द्वारा 1,500.58 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग किए जाने की सूचना दी गई है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण में कमी के लिए वार्षिक कार्य योजनाओं को लागू करने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 600.01 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि 19 में से 17 शहरों ने 2017-18 के मुकाबले 2023-24 में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखाया है।
हरित अधिकरण के समक्ष दायर एटीआर में कहा गया है कि गाजियाबाद और लखनऊ के लिए पूरे किए गए अध्ययन से पता चला है कि पीएम 10 के स्तर में 49.2-85.7 प्रतिशत योगदान सड़क की धूल का था। परिवहन क्षेत्र छह से सात प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार था।
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