लोन धोखाधड़ी मामले में बीमा कंपनी के मैनेजर से 39 लाख की ठगी
नई दिल्ली, 6 जनवरी (आईएएनएस)। चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी की एक डिप्टी मैनेजर को साइबर जालसाजों ने 39 लाख रुपये का चूना लगाया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि यह घटना तब सामने आई जब पीड़िता ने भारत में स्थानीय सेवा व्यवसायों को जोड़ने वाली एक पॉपुलर वेबसाइट सुलेखा.कॉम पर लोन की जरूरत के लिए डिटेल्स की जानकारी दी।
नई दिल्ली, 6 जनवरी (आईएएनएस)। चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी की एक डिप्टी मैनेजर को साइबर जालसाजों ने 39 लाख रुपये का चूना लगाया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि यह घटना तब सामने आई जब पीड़िता ने भारत में स्थानीय सेवा व्यवसायों को जोड़ने वाली एक पॉपुलर वेबसाइट सुलेखा.कॉम पर लोन की जरूरत के लिए डिटेल्स की जानकारी दी।
आईएएनएस के पास मौजूद एफआईआर के अनुसार, रोहिणी की स्थायी निवासी शिकायतकर्ता प्रतिष्ठा गर्ग (35) ने कहा कि वह स्टडी लोन के लिए सर्च कर रही थी। इस दौरान वह एक सुलेखा.कॉम वेबसाइट पर गईं।
इस समय तमिलनाडु के कांचीपुरम में रह रहीं प्रतिष्ठा गर्ग ने आगे बताया, "मैंने उस वेबसाइट पर जैसे ही अपना नाम, मोबाइल नंबर आदि डिटेल्स भर दी, मुझे एक फोन नंबर से कॉल आया, उसने अपना नाम नकुल बताया और कहा कि मैं लोन ब्रोकर हूं।"
उसने प्रतिष्ठा गर्ग को भरोसा दिलाया कि वह उन्हें लाने दिलाएगा। उसने यह भी कहा कि आर एस एंटरप्राइजेज वह कंपनी है जो उन्हें लोन देने जा रही है।
उन्होंने कहा, "ब्रोकर ने मुझे दो फोन नंबर भी साझा किए। एक फोन नंबर उस कंपनी के अकाउंटेंट का है और दूसरा लोन देने वाली कंपनी के मालिक का है और उन्होंने मेरा विश्वास जीत लिया।"
"मुझे 13.50 लाख रुपये का लोन चाहिए था। लेकिन उनसे मुझे अलग-अलग औपचारिकताओं के नाम पर लाखों रुपये ले लिए। शुरुआत में मैंने उन्हें लोने लेने के लिए पैसे दिए। लेकिन जब मैं उनसे तंग आ गई और अपने पैसे वापस मांगे तो उन्होंने कहा कि रुपये वापस नहीं होंगे।"
"मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा और मैंने उन्हें अधिक पैसे दिए। इस तरह, मैंने उन्हें लगभग 39 लाख रुपये का भुगतान किया और 70 से ज्यादा लेनदेन किए।"
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि रोहिणी के साइबर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
अधिकारी ने कहा, "हम पैसे के लेन-देन की जांच कर रहे हैं। जांचकर्ताओं ने दोषियों का पता लगाने और उन्हें पकड़ने के लिए तकनीकी तथा मैन्युअल निगरानी शुरू कर दी है।"
--आईएएनएस
एसजीके
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