चंद्रयान-3 मिशन: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के दौरान क्या हुआ था? इसरो ने दी ताजा जानकारी

  • लैंडर मॉड्यूल ने चांद पर उतरते वक्त एक शानदार 'इजेक्टा हेलो' उत्पन्न किया
  • इसी साल 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद पर की थी सोफ्ट लैंडिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-27 10:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 23 अगस्त 2023 का दिन भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। क्योंकि, इसी दिन चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सोफ्ट लैंडिंग किया था। जिसे लेकर शुक्रवार को इसरो ने अहम जानकारी दी है। इसरो के मुताबिक, इस साल 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल ने चांद पर उतरते वक्त एक शानदार 'इजेक्टा हेलो' उत्पन्न किया। इसके अलावा एनआरएससी/इसरो के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लैंडर ने लैंडिंग के वक्त लगभग 2.06 टन चंद्रमा की मिट्टी को 108.4 वर्ग मीटर के क्षेत्र में विस्थापित कर दिया था। 

हाल में इसरों के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को ताजा जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि चंद्रयान-3 स्लीपिंग मोड में है। लेकिन चंद्रयान-3 फिर से एक्टिव हो सकता है। सोमनाथ ने कहा था कि चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य सोफ्ट लैंडिंग करना था। साथ ही, चांद पर काम करते हुए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने 14 दिनों तक इसरो को डेटा भेजा था। चंद्रयान-3 ने चांद पर पहुंचने के बाद अपने उद्देश्य को पूरा किया।

डॉक्टर सोमनाथ ने बताया कि प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर ने बेहतरीन काम किया है। अगर ये दोनों नींद से बाहर आते हैं, तो यह काफी अच्छा होगा। रोवर और लैंडर के सर्किट डैमेज नहीं हुए होंगे, तो प्रज्ञान और विक्रम एक फिर एक्विट हो सकते हैं। उन्होंने कहा था कि शिव शक्ति प्वाइंट पर तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। हालांकि, यह (रोवर और लैंडर) उससे भी कम तापमान पर काम करने में सक्षम है।

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