भारत की महिलाओं में घटी बच्चे पैदा करने में रूचि, गर्भनिरोधक को लेकर बढ़ी जागरूकता , NFHS की रिपोर्ट में और भी चौंकाने वाले खुलासे

नई दिल्ली भारत की महिलाओं में घटी बच्चे पैदा करने में रूचि, गर्भनिरोधक को लेकर बढ़ी जागरूकता , NFHS की रिपोर्ट में और भी चौंकाने वाले खुलासे

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-07 06:26 GMT
भारत की महिलाओं में घटी बच्चे पैदा करने में रूचि, गर्भनिरोधक को लेकर बढ़ी जागरूकता , NFHS की रिपोर्ट में और भी चौंकाने वाले खुलासे
हाईलाइट
  • पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है
  • बिहार
  • मेघालय
  • उत्तर प्रदेश
  • झारखंड और मणिपुर में प्रजनन दर 2.1 से ज्यादा

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वं की ताजा रिपोर्ट बताती है कि  देश की जनसंख्या में कमी देखने को मिल रही है। सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत आ गई है, जो ये बताती है देश में आबादी की रफ्तार में कमी आई है।

                                                   

सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि  35% पुरुषों मानते है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है।  केवल बिहार, मेघालय, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मणिपुर 5 राज्य ऐसे हैं जहां प्रजनन दर 2.1% से ज्यादा है। 

एनएफएचएस की रिपोर्ट में देश की महिलाएं और पुरूष गर्भनिरोधक उपायों के बारे क्या सोचते है और उनके उपयोग पर क्या बोलते है , इसकी जानकारी दी गई है। रिपोर्ट बनाते समय सर्वे में 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित  प्रदेशों के 707 जिलों से लगभग साढ़े छ: लाख सैंपल कलेक्ट किए गए।  मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वे की रिपोर्ट जारी की। सर्वे में 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया 

रिपोर्ट में ये बताया गया है कि बेरोजगार महिलाओं की तुलना में सर्विस करने वाली ज्‍यादातर महिलाएं गर्भनिरोधक का उपयोग करने पर भरोसा रखती है।  सर्वे में ये भी सामने आया है कि शिक्षा और आय बढ़ने के साथ साथ कॉन्‍ट्रासेप्टिव्‍स का इस्‍तेमाल बढ़ता है। सर्वे की स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि मोटापा का बढ़ना एक चुनौती बनता जा रहा है। बिगड़ती लाइफ स्टाइल और विलासिता भरे जीवन से  मोटापा बढ़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर मोटापा बढ़कर 24 फीसदी हो गया है। 

सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि देश में कॉन्‍ट्रासेप्टिव्‍स को लेकर जागरूकता का स्‍तर बढ़ रहा है, जो पूरे देश में  लगभग बराबर है। शादीशुदा कपल में से एक सदस्य को इनकी जानकारी है, लेकिन ये अलग बात है कि उनमें से केवल 54.6 फीसदी ही लोगों ने ही इस्तेमाल किया है।


 

 

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