सर्वे: देश में 62 फीसदी CAA और NRC के पक्ष में 65.4 फीसदी लोग
सर्वे: देश में 62 फीसदी CAA और NRC के पक्ष में 65.4 फीसदी लोग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच एक सर्वे में एक बड़ा चौकाने वाला खुलासा हुआ है। देश में 62 प्रतिशत लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम का समर्थन करते हैं। असम के 68 प्रतिशत लोग इस कानून के खिलाफ हैं। वहीं लगभग 65.4 फीसदी लोग एनआरसी के पक्ष में है। जबकि असम में 76.9 फीसदी लोग चाहते हैं कि एनआरसी को पूरे देश में लागू होना चाहिए। 66 फीसदी मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया है। यह बात आईएएनएस-सीवोटर के एक सर्वेक्षण में सामने आई है।
एनआरसी के पक्ष में 65.5 फीसदी लोग
यह सर्वे 17 से 19 दिसंबर के बीच देशभर में तीन हजार से अधिक लोगों के बीच किया गया। जिसमें असम, पूर्वोत्तर राज्य और अधिकतर मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की गई। सर्वेक्षण के अनुसार देशभर में 65.4 फीसदी लोग एनआरसी के लागू करने के पक्ष में हैं, जबकि 28.3 फीसदी लोगों ने इसका विरोध किया है। वहीं 6.3 फीसदी लोग इस मुद्दे पर कुछ कहना नहीं चाहते हैं। हिंदुओं में 72.1 फीसदी लोगों ने इसका समर्थन और 21.3 फीसदी लोगों ने विरोध किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व के 65.9, पश्चिम के 67.5, उत्तर 73.8 और दक्षिण भारत के 52.1 फीसदी लोग चाहते हैं कि एनआरसी पूरे देश में लागू होना चाहिए।
सीएए के विरोध में 36.8 फीसदी लोग
देशभर के 62.1 प्रतिशत लोगों ने सीएए का समर्थन किया है, जबकि 36.8 फीसदी लोगों ने इसका विरोध किया है। रिपोर्ट में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से 57.3, 64.2, 67.7 और 58.5 प्रतिशत लोगों ने क्रमश: कानून के पक्ष में होने की बात कही। इसी प्रकार पूरब में 42.7 प्रतिशत, पश्चिम में 35.4 प्रतिशत, उत्तर में 31.2 प्रतिशत और दक्षिण में 38.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह इस कानून का विरोध करते हैं।
35 प्रतिशत मुस्लिमों का समर्थन
पिछले हफ्ते पूर्वोत्तर में इस कानून का भारी विरोध हुआ था, रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यहां 50.6 प्रतिशत लोग कानून के समर्थन में हैं, वहीं 47.7 लोग इस एक्ट के विरोध में हैं। सर्वे से पता चलता है कि सिर्फ असम में ही 68.1 प्रतिशत लोग सीएए के विरोध में हैं, जबकि 31 प्रतिशत इसका समर्थन कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मुस्लिमों में 63.5 प्रतिशत लोग इसके खिलाफ हैं, जबकि 35 प्रतिशत इसका समर्थन करते हैं और 0.9 प्रतिशत का कहना है कि वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। यदि हिंदुओं की बात करें तो 66.7 प्रतिशत लोग इसका समर्थन करते हैं, जबकि 32.3 प्रतिशत इसके विरोध में हैं।
सुरक्षा को खतरा बढ़ेगा
सर्वे में कहा गया कि पूरब, पश्चिम और उत्तर भारत में 69, 66, 72.8 प्रतिशत लोगों को क्रमश: ऐसा लगता है कि यदि दूसरे देशों से लोग भारत में आकर बसे तो सुरक्षा को खतरा हो सकता है। हालांकि, दक्षिण भारत के 47.2 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हैं, जबकि 50 प्रतिशत को ऐसा लगता है कि अन्य देशों के यहां बसने से देश को कोई खतरा नहीं होगा। पूर्वोत्तर राज्यों में केवल 59.8 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हैं। जबकि 35.7 प्रतिशत इस बात का विरोध करते हैं। इस बीच असम की बात करें तो 73.4 प्रतिशत लोगों को ऐसा लगता है कि यदि विदेशी भारत में आकर बसे तो वह समाज और सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। वहीं, 21.8 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है। हिंदुओं और मुस्लिमों में 65.3 और 67.5 प्रतिशत लोगों को क्रमश: ऐसा लगता है। जबकि 33 और 28.2 प्रतिशत लोग इस बात से इनकार करते हैं।
56.8 प्रतिशत लोग सरकार के साथ
सीएए को लेकर सरकार और विपक्ष के समर्थन के सावाल पर 58.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह सरकार के साथ हैं, जबकि 31.7 प्रतिशत ने विपक्ष को अपना समर्थन दिया है। इसी प्रकार से पूरब, पश्चिम, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर लोगों ने सरकार का समर्थन किया है, वहीं दक्षिण भारत के 47.2 प्रतिशत लोगों ने इस बात को लेकर विपक्ष का साथ दिया है। असम में 53.5 प्रतिशत लोग विपक्षी पार्टियों के साथ खड़े दिखाई देते हैं। जबकि 33.7 प्रतिशत लोग सरकार के पक्षधर हैं। सीएए को लेकर सरकार के साथ खड़े होने के मामले में हिंदू और मुस्लिम बंटे हुए हैं। 67 प्रतिशत हिंदू इसका समर्थन करते हैं, जबकि 71.5 प्रतिशत मुस्लिम सरकार को छोड़ विपक्ष का साथ देते नजर आ रहे हैं।