राष्ट्रपति द्रौपदी की वैज्ञानिक समुदाय से अपील : सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं

बेंगलुरु राष्ट्रपति द्रौपदी की वैज्ञानिक समुदाय से अपील : सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-27 12:00 GMT
राष्ट्रपति द्रौपदी की वैज्ञानिक समुदाय से अपील : सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं
हाईलाइट
  • विज्ञान जनता के जीवन में एक अभूतपूर्व क्रांति ला सकता है

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को वैज्ञानिक समुदाय से सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की। यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, हर चुनौती हमें सामना करने के लिए मजबूर करती है। आज हमें न केवल पारंपरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है, बल्कि अप्रत्याशित चुनौतियों का भी सामना करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास को सामाजिक समावेश के साथ चलना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा, विज्ञान जनता के जीवन में एक अभूतपूर्व क्रांति ला सकता है। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा अपनाई गई स्वदेशी की भावना का अनुकरण किया जाना चाहिए। मुर्मू ने कहा, हाल ही में हमें कोविड-19 के रूप में एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों, वैज्ञानिकों ने हमें संकट से बाहर निकलने में मदद की। महामारी के प्रति हमारी प्रतिक्रिया की हर जगह सराहना की गई है। हमने मानव इतिहास में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया है। कई विकसित देशों की तुलना में इसका बेहतर डेटा है।

उन्होंने सुविधा के उद्घाटन को एक ऐतिहासिक क्षण बताया, क्योंकि यह न केवल एचएएल और भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए है, बल्कि पूरे देश में क्रायोजेनिक और सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की अत्याधुनिक निर्माण इकाई है। राष्ट्रपति ने कहा, यह हमारे देश की उपलब्धियों में सहायता करके भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की जरूरतों को पूरा करेगा। मैं इस प्रतिष्ठित परियोजना से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूं। उन्होंने एचएएल को सशस्त्र बलों के पीछे की ताकत और इसरो को राष्ट्र का गौरव बताया।

एचएएल के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एचएएल एयरोस्पेस डिवीजन प्रोपेलैंट टैंक और पीएसएलवी, जीएसएलवी एमके-2, जीएसएलवी एमके-3 के प्रक्षेपण वाहन संरचनाओं का निर्माण करता है और जीएसएलवी एमके-2 के लिए चरणों का एकीकरण भी करता है।

क्रायोजेनिक इंजनों के निर्माण में प्रवेश करने वाला एयरोस्पेस डिवीजन प्रौद्योगिकी उन्नयन सह आधुनिकीकरण में एक बड़ा कदम है। क्रायोजेनिक इंजन दुनियाभर में लॉन्च वाहनों में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। इसकी जटिल प्रकृति के कारण आज तक केवल अमेरिका, फ्रांस, जापान, चीन और रूस ने ही तकनीक में महारत हासिल की है।

भारत ने 5 जनवरी 2014 को क्रायोजेनिक इंजन (निजी उद्योगों के माध्यम से इसरो द्वारा निर्मित) के साथ जीएसएलवी-डी5 को सफलतापूर्वक उड़ाया और क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने वाला छठा देश बन गया। भविष्य में अंतरिक्ष की खोज ज्यादातर क्रायोजेनिक तकनीक पर निर्भर करेगी।

 

 (आईएएनएस)

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