उग्रवादियों के साथ वार्ता से मणिपुर सरकार के हटने को गृह मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार
देश उग्रवादियों के साथ वार्ता से मणिपुर सरकार के हटने को गृह मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार
डिजिटल डेस्क, इंफाल। मणिपुर सरकार द्वारा पूर्वोत्तर राज्य में तीन भूमिगत आदिवासी उग्रवादी संगठनों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता और निलंबन (एसओओ) से हटने के दो सप्ताह बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक अपनी मंजूरी नहीं दी है। अधिकारियों ने यह जानकारी बुधवार को दी।
राज्य सरकार द्वारा निर्णय लेने के तुरंत बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें तीन संगठनों की जमीनी स्थिति और प्रतिकूल गतिविधियों के बारे में अवगत कराया।
शांति वार्ता में मणिपुर के मुख्य सचिव राजेश कुमार अन्य अधिकारियों के साथ पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और केंद्र के प्रतिनिधि ए.के. मिश्रा शामिल थे।
एसओओ से हटने का मणिपुर सरकार का निर्णय और 10 मार्च को तीन विद्रोही समूहों के साथ त्रिपक्षीय समझौता उसके आकलन के अनुसार था कि ये संगठन सीमा पार से म्यांमार के प्रवासियों की आमद का समर्थन कर रहे हैं, अफीम की अवैध खेती और नशीली दवाओं के व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं।
यह बताया गया कि केएनए, जेडआरए और केआरए के कैडर राज्य में अफीम की खेती करने वालों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं, जो अवैध अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, और वन भूमि में अफीम के खेतों को नष्ट कर रही है, विशेष रूप से आरक्षित और संरक्षित जंगलों में। हालांकि, कुकी संगठनों के एक छाता संगठन ने आरोपों को खारिज कर दिया है।
10 मार्च को आदिवासियों ने तीन जिलों में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध रैलियां आयोजित कीं, जिन्हें कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों का भी समर्थन प्राप्त था।
अफीम की खेती और वन भूमि के अतिक्रमण पर राज्य सरकार की कार्रवाई के खिलाफ 10 मार्च को चुराचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों के विभिन्न हिस्सों में नागरिकों द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मणिपुर कैबिनेट ने यह निर्णय लिया।
केंद्र और मणिपुर सरकार ने 22 अगस्त, 2008 को कुकी उग्रवादी संगठनों के साथ त्रिपक्षीय समझौते और एसओओ पर हस्ताक्षर किए थे।
एसओओ समझौते के तहत तीन संगठनों के कई सौ उग्रवादी सामने आ गए थे। हालांकि, केंद्र सरकार अभी बातचीत की मेज पर नहीं आई है।
एक बयान में कहा गया है, 10 मार्च की कैबिनेट बैठक में कहा गया कि रैलियों का आयोजन एक ऐसे कारण के लिए किया गया था जो असंवैधानिक है और इसलिए रैलियां अवैध थीं। कैबिनेट ने यह भी पुष्टि की कि सरकार राज्य के वन संसाधनों की रक्षा और अफीम की खेती को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों से कोई समझौता नहीं करेगी।
ड्रग अगेंस्ट ड्रग मिशन के हिस्से के रूप में मणिपुर सरकार अफीम के खेतों को नष्ट कर रही है और आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों से बसने वालों को बेदखल कर रही है।
(आईएएनएस)
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