क्या इस बेशकीमती हिमालयन जड़ी-बूटी के कारण भारत में घुसपैठ करने की नापाक कोशिश कर रहा है ड्रेगन? जानिए सोने से भी ज्यादा महंगी इस जड़ी की विशेषताएं

भारत-चीन विवाद क्या इस बेशकीमती हिमालयन जड़ी-बूटी के कारण भारत में घुसपैठ करने की नापाक कोशिश कर रहा है ड्रेगन? जानिए सोने से भी ज्यादा महंगी इस जड़ी की विशेषताएं

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-28 10:11 GMT
हाईलाइट
  • इससे फटीग
  • बुखार
  • और सेक्स से जुड़ी बीमारियों का इलाज भी किया जाता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्षेत्र को अपना क्षेत्र बताकर चीन बार-बार घुसपैठ करने की कोशिश करता है। हाल ही में अरूणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। इस बीच चीन की इस नापाक हरकत पर एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, इंडो-पैसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस यानी आईपीएससीएससी ने दावा किया है कि ड्रेगन की तरफ से भारतीय क्षेत्र में बार-बार घुसपैठ करने के पीछे की वजह एक दुर्लभ हिमालयन जड़ी-बूटी है। 

आईपीएससीएससी के अनुसार हिमालय में पाई जाने वाली इस जड़ी-बूटी का नाम है "कीड़ा जड़ी’ या कॉर्डिसेप्स है। इस बेशकीमती हिमालयन जड़ी बूटी को कैटरपिलर फंगस या हिमालयन गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है। यह चीन में एक महंगी हर्बल दवा है जिसकी कीमत सोने कीमत से भी अधिक है। आईपीएससीएससी ने अपनी एक रिपोर्ट में चीनी सैनिकों पर इस जड़ी बूटी की तलाश में अरुणाचल प्रदेश में अवैध रूप से घुसने का आरोप लगाया है।

जानिए क्या है कॉर्डिसेप्स?

कीड़ा जड़ी के रूप में पहचाने जाने वाली इस बूटी का वैज्ञानिक नाम कॉर्डिसेप्स सिनेसिस है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक ये कैटरपिलर और फफूंद का एक मिश्रण है। आसान भाषा में समझें तो यह एक प्रकार की जंगली मशरूम है जो कैटरपिलरों को मारकर एक परजीवी के रूप में उस पर पनपता है। स्थानीय लोगों द्वारा इसे कीड़ा जड़ी कहने के पीछे भी यही कारण है क्योंकि इसका आधा हिस्सा कीड़े का और आधा हिस्सा जड़ी का होता है। 

कहां पाई जाती है?

यह नायाब जड़ी हिमालय की ऊंचाइयों पर पाई जाती है। नेशनल लाइब्रेरी और मेडिसन के अनुसार यह सिक्किम, उत्तराखंड और अरूणाचल प्रदेश में 4500 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है। भारत के अलावा कॉर्डिसेप्स चीन के शंघाई-तिब्बत पठार और भूटान व नेपाल के कुछ इलाकों में पाई जाती है। चीन में इसे यारशागुंबा कहा जाता है। 


क्यों है इतनी मांग?

भारत में इस जड़ी का उपयोग न के बराबर होता है वहीं चीन में इसका इस्तेमाल बड़ी मात्रा में होता है। इसे यहां एक प्राकृतिक स्टेराइड के रूप में उपयोग किया जाता है। ये जड़ी सुर्खियों में उस समय आई जब 2009 में खेले गए स्टुअटगार्ड विश्व चैंपियनशिप में चीन की महिला एथलीटों ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया। उस समय उनकी कोच मा जुनरेन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया था कि महिला एथलीटों के इतना अच्छा प्रदर्शन करने की वजह यारशागुंबा का नियमित सेवन है। जिसके बाद से चीन में इसकी मांग लगातार बढ़ती गई।

प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धति में इस जड़ी के अन्य कई उपयोग बताए गए हैं। मसलन, फेंफड़ों और किडनी के इलाज में यह जीवनदायिनी दवा मानी गई है। इसके अलावा इससे फटीग, बुखार, और सेक्स से जुड़ी बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इस जड़ी में प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जिस कारण इसका इस्तेमाल रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने, इंफ्लेमेशन का खतरा कम करने और साथ ही हृदय से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। इन्हीं सब कारणों से चीन में इस दवा की डिमांड बीते वर्षों में तेजी से बढ़ी है। 

 


  

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