केंद्रीय मंत्री गिरिराज बोले, NRC है हिंदुस्तान की मांग
केंद्रीय मंत्री गिरिराज बोले, NRC है हिंदुस्तान की मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर किसी भी हाल में पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को एक बार फिर एनआरसी को देश में आवश्यक बताते हुए इसे पूरे हिंदुस्तान की मांग बताई।
बिहार के बेगूसराय के सांसद और भाजपा के फायरब्रांड नेता माने जाने वाले सिंह ने एक ट्वीट किया, एक देश एक कानून और एक नागरिकता, यही है हिंदुस्तान की पहचान। एनआरसी है हिंदुस्तान की मांग।
एक देश एक कानून और एक नागरिकता, यही है हिंदुस्तान की पहचान।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 22, 2019
NRC है हिंदुस्तान की मांग।
आपको बता दें कि इससे पहले भी केंद्रीय मंत्री सिंह लगातार एनआरसी के पक्ष में मुखर रहे हैं। सिंह ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट किया था कि पश्चिम बंगाल और बिहार में एनआरसी की जरूरत है।
उन्होंने लिखा था, पश्चिम बंगाल बिहार में एनआरसी की जरूरत, बिहार में एनआरसी की जरूरत, बाहरी लोगों को छोड़ना होगा देश। जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो। अपने संस्कार व संस्कृति को सहेजने की जरूरत।
News from Purnia Locals:-
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 17, 2019
•बंगाल बिहार में एन॰आर॰सी॰ की ज़रूरत
•बिहार में एन॰आर॰सी॰ की ज़रूरत,बाहरी लोगों को छोड़ना होगा देश।
•जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू हो।
•अपने संस्कार व संस्कृति को सहेजने की ज़रूरत।
•जीत मेरी नहीं बल्कि जनता की हुई है। pic.twitter.com/klx1cgosHJ
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को जद (यू) के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एनआरसी के मुद्दे पर बिना किसी का नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा था।
प्रशांत ने ट्वीट किया कि 15 से अधिक राज्यों में गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री हैं और ये ऐसे राज्य हैं, जहां देश की 55 फीसदी से अधिक जनसंख्या है।
15 plus states with more than 55% of India’s population have non-BJP Chief Ministers. Wonder how many of them are consulted and are on-board for NRC in their respective states!!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) November 20, 2019
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, आश्चर्य यह है कि उनमें से कितने लोगों से एनआरसी पर विमर्श किया गया और कितने अपने-अपने राज्यों में इसे लागू करने के लिए तैयार हैं।