मणिपुर हिंसा : विपक्षी दल पीएम मोदी की चुप्पी से नाराज, पीएमओ को सौंपा ज्ञापन
कांग्रेस नेता अजय कुमार ने दावा किया कि लेखक मुंतशिर ने पहले से समय लिए बिना मोदी से मुलाकात की और उनके साथ 45 मिनट तक बात की, जबकि हिंसाग्रस्त राज्य के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं, यहां तक कि भाजपा के लोगों को भी पीएम मोदी से मिलने के लिए समय नहीं दिया गया।
पार्टी मुख्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता अजय कुमार ने कहा, 10 जून से मणिपुर के कई वरिष्ठ नेता, जिनमें राजनीतिक नेता, नागरिक समाज के लोग शामिल हैं, प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए यहां इंतजार कर रहे हैं। यहां तक कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और विधानसभा अध्यक्ष भी समय मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता इबोबी सिंह, जो 15 साल तक मणिपुर के मुख्यमंत्री रहे और मणिपुर के कई अन्य शीर्ष नेता पीएम से नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि एक पटकथा लेखक बिना पूर्व अनुमति के प्रधानमंत्री से मिल सकता है। उन्होंने कहा कि 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को एक ज्ञापन भी सौंपा गया था।
कुमार के साथ मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह, विपक्षी दलों के नेता, मणिपुर पीसीसी अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह और अन्य शामिल थे, जिन्होंने कहा कि वे निराश हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री ने अमेरिका रवाना होने से पहले उनके लिए दस मिनट का वक्त भी नहीं निकाला।
कुमार ने कहा कि विपक्षी नेता प्रधानमंत्री से मिलने की उम्मीद में पिछले दस दिनों से यहां डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कहा, न केवल इन नेताओं, बल्कि मणिपुर के लोगों को भी बहुत निराशा हुई कि प्रधानमंत्री के पास उनके लिए समय नहीं था। इस बीच, मणिपुर हिंसा के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने कहा कि यह मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की विफलता थी और उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि यह खुफिया और प्रशासन की विफलता थी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, इस देश के नागरिक के रूप में हम यहां मोदीजी से मिलने के लिए इंतजार कर रहे थे। हम यहां प्रधानमंत्री से कुछ भीख मांगने नहीं आए हैं, लेकिन मणिपुर में जो हुआ है, उसे एक राष्ट्रीय मुद्दा माना जाना चाहिए। मणिपुर में हिंसा से निपटने में डबल इंजन सरकार की दोहरी विफलता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 26 दिनों के बाद मणिपुर आए और वहां तीन दिन रहे, लेकिन इससे भी शांति बहाली में मदद नहीं मिली।
विपक्ष का ज्ञापन :
विपक्षी नेताओं द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 150 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि 1,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 5,000 से अधिक घर जल गए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। सैकड़ों चर्च और मंदिर भी जला दिए गए हैं।
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि यह भाजपा की बांटो और राज करो की राजनीति थी, जिसने इस संकट को जन्म दिया। ज्ञापन में कुकी जनजाति से संबंधित सरकार में दो मंत्रियों सहित 10 विधायकों की मांग का उल्लेख किया गया है, जिसमें कुकी के लिए अलग प्रशासन की मांग की गई है। ज्ञापन में मणिपुर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम के खिलाफ चेतावनी दी गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि जातीय हिंसा पर प्रधानमंत्री की चुप्पी, जिसने कई लोगों की जान ले ली है और हजारों नागरिकों के लिए तबाही मचाई है, मणिपुर के लोगों के प्रति उनकी उदासीनता का स्पष्ट संदेश है। ज्ञापन में हिंसा के लिए मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को भी जिम्मेदार ठहराया गया है और कहा गया है कि वह अपने मनमाने कार्यो के कारण जातीय हिंसा के सूत्रधार थे। अगर उन्होंने निवारक और त्वरित कार्रवाई की होती, तो जातीय संघर्ष को टाला जा सकता था।
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस, जदयू, सीपीआई, सीपीएम-एम, टीएमसी, आप, फॉरवर्ड ब्लॉक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और आरएसपी के नेता शामिल हैं। कांग्रेस मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री की चुप्पी की आलोचना करती रही है। कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को अपनी छवि सुधारने के लिए प्रचार करने के बजाय राजधर्म का पालन करने की याद दिलाई।
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