लगातार 12 फिल्में फ्लॉप, फिल्में छोड़ सरकारी नौकरी की कर ली थी तैयारी, फिर एक फिल्म ने बदल दी अमिताभ बच्चन की जिंदगी, शुरू हुआ सदी का महानायक बनने का सफर
अमिताभ बच्चन 80वां जन्मदिन लगातार 12 फिल्में फ्लॉप, फिल्में छोड़ सरकारी नौकरी की कर ली थी तैयारी, फिर एक फिल्म ने बदल दी अमिताभ बच्चन की जिंदगी, शुरू हुआ सदी का महानायक बनने का सफर
डिजिटल डेस्क मुंबई। बॉलीवुड के महानायक, बादशाह और सुपर स्टार कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं। अमिताभ बच्चन की सफलता के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन इस सफलता के पीछे छिपे हुए संघर्ष के बारे में कम ही लोग जानते होंगे। अमिताभ बच्चन ने फिल्मों में आने के लिए बहुत मेहनत की है। वहीं फिल्मों में आने के बाद भी उनकी परेशानियां खत्म नहीं हुईं। उन्हें शुरुआत में कोई भी स्टार मेटेरियल नहीं समझता था। उनकी गई शुरूआती फिल्में पूरी तरह फ्लॉप हो गई थी। जिसके बाद उन्हें कई तरह के ताने दिये जाते थे। उन्हें अपने पिता की तरह कविता लिखने की सलाह दी जाती थी, तो कहीं बोला जाता था कि कोई भी नायिका उनके साथ काम नहीं करेगी। फिल्म जंजीर के हिट होने के पहले तक उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
टोस्ट खाकर किया गुजारा
अमिताभ बच्चन का जन्म अक्टूबर 11, 1942 को उतरप्रदेश के जिले इलाहबाद में हिन्दू परिवार में हुआ। उनके बचपन का नाम “इन्कलाब” था जो बाद में बदल कर अमिताभ रख दिया गया। “इन्कलाब” नाम जो है वो आजादी की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले नारे “इन्कलाब जिंदाबाद“ से प्रेरित था। अमिताभ नाम का मतलब होता है “ऐसा दीपक जो कभी नहीं बुझे“। अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन जो खुद एक प्रसिद्ध कवि थे और उनकी माता तेजी बच्चन जो कराची से वास्ता रखती थीं, ने ही उन्हें स्टेज की दुनिया में आने के लिए प्रेरित किया। वैसे आपके जानने लायक एक दिलचस्प बात और भी है कि अमिताभ का उपनाम श्रीवास्तव है लेकिन इनके पिता ने अपनी रचनाओं को बच्चन नाम से प्रकाशित करवाया जिसके कारण उसके बाद पूरे परिवार के साथ यह नाम जुड़ गया।
संघर्ष के दिनों में अमिताभ को कोई मॉडलिंग के ऑफर्स आते थे, लेकिन अमिताभ को इस काम में रुचि नही थी। उस समय जलाल आगा ने एक कंपनी खोल रखी थी, जो की विविध भारती के लिए विज्ञापन बनाती थी। जलाल अमिताभ को छोटे से रिकॉर्डिंग सेंटर में ले जाते थे और एक- दो मिनट के विज्ञापन में अमिताभ की आवाज का उपयोग करते थे। जिसमें उन्हें प्रति प्रोग्राम 50 रुपये मिलते थे। वर्ली की सिटी बेकरी में आधी रात के समय टूटे फूटे बिस्टकुट आधे दान में मिल जाते थे। अमिताभ इसी तरह रात भर खुले रहने वाले कैम्पस कॉर्नर के रेस्तरेटों में टोस्ट खाकर दिन गुजारा करते थे। और सुबह फिर काम की खोज में निकल जाते थे।
अमिताभ बच्चन के करियर की शुरुआत
अमिताभ बच्चन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना पहला स्क्रीन टेस्ट देने के लिए दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे। अमिताभ की मां तेजी बच्चन भी उनके करियर को लेकर काफी परेशान थी। और उन्होंने ही नरगिस से अमिताभ बच्चन का पहला स्क्रीन टेस्ट लेने की बात कही थी। जिसके बाद नरगिस ने मोहन सहगल से बात की। सहगल ने उनके पहले स्क्रीन टेस्ट के लिए हां कह दिया था। लेकिन स्क्रीन टेस्ट के बावजूद अमिताभ बच्चन को फिल्म में काम नहीं मिला था।
अमिताभ ने फिल्मों में अपने करियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी फिल्म सात हिन्दुस्तानी के सात कलाकारों में एक कलाकार के रूप में की थी। इन सात कलाकारों में अमिताभ ने मुस्लिम युवक का रोल निभाया था। फिल्म ज्यादा तो नहीं चली लेकिन बच्चन ने अपनी पहली फिल्म के लिए बेस्ट डेब्यू का राष्ट्रीय अवॉर्ड जीता। इस सफलता के बाद उनकी अगली फिल्म आई आंनद। जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना के साथ काम किया। इस रोल के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला।
लगातार 12 फिल्में फ्लॉप, दिल्ली वापसी की थी तैयारी
अमिताभ बच्चन को शुरुआत में काफी उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा था। उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया जब उन्हें अपनी नौकरी और फिल्म के स्क्रीन टेस्ट में से किसी एक को चुनना था। अमिताभ बच्चन के हाथ में उस समय 1600 रुपये की नौकरी थी। जो कि उस जमाने में काफी बड़ी रकम हुआ करती थी। हालांकि उनके सामने जिस फिल्म के लिए स्क्रीन टेस्ट था वो फिल्म मनोज कुमार की थी। ऐसे में उनके लिए चुनाव कर पाना आसान नहीं था। आपको जानकर हैरानी होगी कि, अमिताभ ने इस फिल्म के स्क्रीन टेस्ट को ठुकरा दिया। उन्होंने स्क्रीन टेस्ट नहीं दिया और वह दिल्ली वापस लौट आए थे। ‘सात हिंदुस्तानी’ उनकी पहली फिल्म थी, जिसके बदले में उन्हें पांच हजार रुपये बतौर फीस मिली थी। लेकिन यहां उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ। फिल्म सुपर फ्लॉप साबित हुई और इसके बाद आई 12 फिल्में भी असफल ही रही। कोई उनके साथ काम करने के लिए भी राजी नहीं थी, लेकिन प्रकाश मेहरा की जंजीर से उनकी किस्मत चमकी और वह बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए।