ये देखकर अच्छा लगाता है कि अब महिला किरदार उन पर तरस खाकर नहीं लिखे जाते
सान्या मल्होत्रा ये देखकर अच्छा लगाता है कि अब महिला किरदार उन पर तरस खाकर नहीं लिखे जाते
- सान्या मल्होत्रा: ये देखकर अच्छा लगाता है कि अब महिला किरदार उन पर तरस खाकर नहीं लिखे जाते
डिजिटल डेस्क, मुंबई। 2016 में दंगल से बॉलीवुड में अपनी शुरूआत के बाद से, सान्या मल्होत्रा ने स्क्रीन पर असंख्य भूमिकाएँ निभाई हैं जो वास्तविकता के करीब हैं। उनका कहना है कि जब तक नई पीढ़ी की अभिनेत्रियां स्टीरियोटाइप पर सवाल नहीं उठाती और सिनेमा में महिलाओं की छवि बदलने की मांग नहीं करेंगी, तब तक बदलाव नहीं होगा।
अपनी शुरूआत के बाद, पटाखा, फोटोग्राफ, पग्लैट और मीनाक्षी सुंदरेश्वर जैसी फिल्मों में दिखाई दी हैं।
आईएएनएस के साथ बातचीत में सान्या ने कहा कि मुझे लगता है कि मैंने अब तक जिस तरह का किरदार निभाया है, एक दर्शक के रूप में मैं उन्हें देखना चाहती हूं क्योंकि वे वही महिलाएं हैं जिन्हें देखकर मैं बड़ी हुई हूं! चाहे वह ज्योति हो, संध्या हो या मीनाक्षी हो। अच्छी बात यह है कि लेखक अब महिला किरदार उन पर तरस खा कर नहीं लिख रहे है।
उन्होंने कहा कि एक दर्शक के रूप में, वह स्क्रीन पर महिलाओं के सही प्रतिनिधित्व की मांग कर रही हैं।
सान्या अगली बार लव हॉस्टल में दिखाई देंगी, जो एक युवा जोड़े आशु और ज्योति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्होंने एक अंतर-धार्मिक रिश्ते में शादी कर ली है। उनका यह फैसला उनके माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध था।
रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और दृश्यम फिल्म्स द्वारा निर्मित इस फिल्म का निर्देशन शंकर रमन ने किया है। बॉबी देओल की विशेषता वाली लव हॉस्टल 25 फरवरी को जी5 पर रिलीज होगी।
आईएएनएस