पत्रकारों के कर्तव्यों को दर्शाती है ऑस्कर में भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म राइटिंग विद फायर
ऑस्कर अवॉर्ड 2022 पत्रकारों के कर्तव्यों को दर्शाती है ऑस्कर में भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म राइटिंग विद फायर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ऑस्कर अवॉर्ड को पाने की चाह फिल्मी जगत से जुड़ा हर शख्स रखता हैं। यह एक ऐसा अवॉर्ड है जो किसी भी व्यक्ति या फिल्म को दुनिया भर में पहचान दिला सकता है। इससे कई कैटेगिरिज में मूल रुप से बनी फिल्मों और क्रिएटिव वर्क्स को सराहना मिलती है। ऑस्कर्स के नॉमिनेशन्स का हिस्सा बनने मात्र से ही फिल्मों की एक अलग पहचान बन जाती है। इस बार भारत की ओर से राइटिंग विद फायर नामक डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर के लिए भेजा गया था। इस डॉक्यूमेंट्री में पत्रकारिता के कई पहलुओं पर बात की गई है। राइटिंग विद फायर ने दुनियाभर के लोगों को प्रभावित किया है। आइये इस डॉक्यूमेंट्री बारे में विस्तार से जताते हैं।
पत्रकारिता से जुड़ी आज की सच्चाई
राइटिंग विद फायर पूरी तरह से पत्रकारिता पर आधारित है। खासतौर पर इस फिल्म में उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों के पत्रकारों के बारे में बताया गया है। फिल्म में घटना से जुड़े सच को दिखाने की लड़ाई, आम नागरिकों की बात सुनने की लड़ाई से लेकर एक पत्रकार के हक की लड़ाई के साथ ही पत्रकारिता के बदलते स्वरूप और दुष्प्रभावों के बीच सच्ची पत्रकारिता के अस्तित्व पर बात की गई है।
बीते कुछ सालों में दुनियाभर के सभी पत्रकारों का खबरों को देखने और समझने का नजरिया काफी हद तक बदला हैं। इस फिल्म में बताया गया है कि कैसे कभी-कभी एक पत्रकार के लिए प्रोफेशनल रिस्पेक्ट से बढ़कर होता है उसका अपना आत्मसम्मान। इस डॉक्यूमेंट्री को 3 दलित महिला रिपोर्टर्स ने लिखा है। फिल्म की मदद से मौजूदा समय की पत्रकारिता और प्रोफेशन के माहौल को समझाने का प्रयास किया गया है।
दुनियाभर में किया जा रहा है फिल्म को पसंद
30 जनवरी, 2021 को रिलीज हुई इस फिल्म को IMDb पर 7.3 रेटिंग्स मिली है। वहीं क्रिटिक्स की ऐर से भी इसे अच्छे रिव्यूज मिले थे। इस फिल्म को रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष ने साथ मिलकर डायरेक्ट किया था। इसमें श्यामकाली देवी, मीरा देवी और सुनीता प्रजापती ने पत्रकारों का रोल निभाया है।
भले ही इस फिल्म ने ऑस्कर अवॉर्ड हासिल ना किया हो लेकिन इस डॉक्यूमेंट्री ने लोगों का पत्रकारों के कर्तव्यों को समझने का काम बखूबी किया हैं।