रिजेक्शन से स्वर-कोकिला बनने तक, ऐसी रही लता दीदी की जिंदगी  

अजीब दास्तां है ये रिजेक्शन से स्वर-कोकिला बनने तक, ऐसी रही लता दीदी की जिंदगी  

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-06 08:53 GMT
रिजेक्शन से स्वर-कोकिला बनने तक, ऐसी रही लता दीदी की जिंदगी  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेरी आवाज ही पहचान है- नाम रहे या न रहे, लेकिन उनके गाए हुए गाने तब तक लोगों के जेहन में रहेंगे, जब तक यह सृष्टि है। सुर, संगीत और गीतों में लताजी की आवाज ही नहीं उनकी रूह बसती थी। उन्होंने 36 भाषाओं में 30, 000 से भी अधिक गाने गाए है और उनका हर गाना कानों के रास्ते सीधे दिल में उतरता था।

मखमली आवाज, सुरों की मल्लिका, स्वर कोकिला (Nightangle Of India) जैसे तमाम टाइटल उनकी आवाज, उनकी शख्सियत के सामने छोटे लगने लगे थे। बेशक, अब वो हमारे बीच नहीं रही है, लेकिन उनके गाए हुए गाने, उनकी सादगी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।कड़ी तपस्या और साधना से लता दीदी ने यह मुकाम हासिल किया है। 

तो आइये, इस गमगीन मौके पर जानते हैं लता मंगेशकर से जुड़े कुछ ऐसे किस्से जो उनके संघर्ष और उनके सुरों की अनसुनी कहानी बयां करते है-

करना पड़ा था रिजेक्शन का सामना 

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे सुरीली आवाज को भी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। दरअसल, कुछ यु हुआ कि लता मंगेशकर फिल्म शहीद के लिए ऑडिशन देने गईं थीं। महान फिल्ममेकर शशधर मलिक ने उनकी आवाज सुनी और आवाज सुनते ही उन्होंने कहा कि ये आवाज बहुत पतली है। फिल्म में संगीत दे रहे थे गुलाम हैदर को शशधर मलिक की बात हजम तो नहीं हुई लेकिन उस वक्त लता मंगेशकर के सामने रिजेक्शन झेलने के अलावा कोई चारा नहीं था। 

पहला हिंदी गीत नहीं कर पाया कमाल 

लता जी को हिंदी फिल्मों में काम करने का मौका मिला तो गायकी से पहले अभिनय का ऑफर आया। पिता दीनानाथ मंगेशकर के मित्र मास्टर विनायक की फिल्म पहली मंगलागौर में लताजी फिल्मी पर्दे पर एक्टिंग करते नजर आईं। पहला गाना मिला माता एक सपूत की। लेकिन ये गाना वो कमाल नहीं कर सका  जिसकी लताजी को उस वक्त दरकार थी। 

पहले हिट गाने का दिलचस्प किस्सा

भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं, अगर प्रतिभा है तो आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और कुछ ऐसा ही हुआ लता मंगेशकर के साथ। 1948 में फिल्म मजबूर के लिए संगीतकार गुलाम हैदर ने लता जी को फिर मौका दिया। लताजी ने गीत गाया दिल मेरा तोड़ा। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सदियों तक-मधुबाला से लेकर काजोल तक प्लेबैक किया।  
 
जिम्मेदारियों के बीच नहीं की शादी 

13 साल की उम्र में पिता का साया सर से उठने के बाद, तीन बहनो और एक भाई में सबसे बड़े होने के कारण लता जी ने पूरे परिवार का बोझ अपने कंधो पर ले लिया। हालांकि, फिल्मी दुनिया की दूसरी शख्सियतों की तरह लता मंगेशकर के भी अफेयर के कुछ किस्से सुनने को मिले। लेकिन अपनी शादी के सवाल पर लताजी ने हमेशाकहा कि परिवार की जिम्मेदारियों के बीच उन्हें कभी शादी के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं मिला। 

हिंदी से पहले मराठी

हिंदी फिल्मों में गाने का ब्रेक मिल पाता उससे पहले लता मंगेशकर को मराठी गाने, गाने का मौका मिला। पांच साल की नन्हीं सी उम्र में लता ने किती हसाल फिल्म का नाचू या गड़े गाना गाया। 

रफी साहब से नाराजगी

इस बात में कोई आतिशोय्क्ति नहीं है कि अगर दुनिया में सबसे बड़ी हिट जोड़ी कोई है तो वह मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर की ही है। उनके द्वारा गाए गानों का आज भी कोई मुकाबला नहीं कर सकता। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि संगीत की दुनिया की ये सुरीली जोड़ी भी कड़वाहट का शिकार हो चुकी है।

दरअसल, रॉयल्टी को लेकर रफी साहब और लताजी में मतभेद पैदा हो गए थे। जिसके चलते लताजी ने रफी साहब से बातचीत बंद कर दी थी। हालांकि, सुर और संगीत ने दोनों को ज्यादा दिन खफा नहीं रहने दिया और फिर से इस जोड़ी ने दिल को छू लेने वाले नगमे पेश किए। 

 

Tags:    

Similar News