33 साल बाद भारत ने तोड़ा गाबा का घमंड, ऑस्ट्रेलिया को मात देकर 2-1 से जमाया था टेस्ट सीरीज पर कब्जा
अलविदा 2021 33 साल बाद भारत ने तोड़ा गाबा का घमंड, ऑस्ट्रेलिया को मात देकर 2-1 से जमाया था टेस्ट सीरीज पर कब्जा
- पहले ही मैच में अपने न्यूनतम टेस्ट स्कोर पर सिमटी भारतीय टीम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शायद टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे शानदार पांचवा दिन, ऑस्ट्रेलियाई मैदान पर 328 रन का लक्ष्य, जो भारत की युवा ब्रिगेड ने सात विकेट खोकर हासिल कर लिया ........
सिर्फ मैच ही नहीं भारत ने लगातार दूसरी बार कंगारूओं को उन्हीं के मैदानों पर पटखनी देकर सीरीज 2-1 से अपने नाम की। यह वही दौरा था जहां हम गिरे (36 रन ऑलआउट), टूटे,उठे, चोटिल गए और अंत में इतिहास रचकर स्वदेश लौटे।
तो आइये एक बार फिर से उस ऐतहासिक सीरीज की यादों को ताजा करते हुए, इस साल को अलविदा कहते है-
पहला टेस्ट : पहले ही मैच में अपने न्यूनतम टेस्ट स्कोर पर सिमटी भारतीय टीम
सीरीज का पहला मैच एडिलेड के ओवल मैदान पर खेला गया, जहां ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 191 रन बनाए, जवाब में भारत ने भी 244 रन बनाकर 53 रन की बढ़त अर्जित की, लेकिन भारत की दूसरी पारी में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी फैंस कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
कोहली की टीम मात्र 36 रन पर ही ऑलआउट हो गई, 9 रन के साथ मयंक अग्रवाल उस पारी के सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। ऑस्ट्रेलिया ने 8 विकेट से न सिर्फ यह मुकाबला जीता बल्कि भारतीय मनोबल को भी धाराशायी कर दिया।
यहां से कोई नहीं सोच सकता था की इसके बाद भारत इतिहास रचने जा रही है।
दूसरा टेस्ट : नए कप्तान ने आगे से किया लीड
उस सीरीज में विराट कोहली पहला मैच खेलने के बाद, भारत वापस लौट गए थे, क्योंकि उस दौरान उनकी पहली बेटी वमिका का जन्म होने वाला था। कोहली की अनुपस्थिति में अजिंक्य रहाणे ने टीम की कमान संभाली और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए "बॉक्सिंग डे" टेस्ट मैच में शतक जड़कर यह दिखा दिया की, ना तो हम अभी टूटे है और न ही भिखरे है।
उस मैच में ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी में 195 रन के जवाब में भारत ने कप्तान रहाणे की 112 रन के शानदार शतकीय पारी के दम पर 326 रन बनाकर 131 रन की बड़ी बढ़त हासिल की। इसके बाद भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के दम पर ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में मात्र 200 रन पर ही सिमट गयी, जिसके कारण भारत के सामने सिर्फ 70 रन का लक्ष्य था, जो उसने मात्र दो विकेट खोकर हासिल कर लिया।
इस जीत के साथ भारत ने सीरीज में 1-1 की बराबरी कर ली थी।
भारतीय ड्रेसिंग रूम बना हॉस्पिटल
सीनियर फिजियो नितिन पटेल और उनके सहयोगी योगेश परमार के साथ-साथ स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच निक वेब और सोहम देसाई के लिए यह दौरा बहुत कठिन साबित हुआ। पहले टेस्ट के बाद ही मोहम्मद शमी, उमेश यादव, केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और हनुमा विहारी चोटिल हो गए थे।
फिजियो नितिन पटेल का एक स्टेटमेंट भी उस समय काफी वायरल हुआ था जहां उन्होंने कहा था, " हमारा ड्रेसिंग रूम, ड्रेसिंग रूम कम बल्कि एक अस्पताल ज्यादा लग रहा है।"
दूसरे टेस्ट के बाद बाद इशांत शर्मा, रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा, मयंक अग्रवाल और ऑस्ट्रेलियाई पिच पर सबसे खतरनाक भारतीय गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, सभी चोटिल हो गए।
हल्की चोट तो ऋषभ पंत और पुजारा को भी लगी, लेकिन हेड्स ऑफ तो फिजियो टीम, जिन्होंने बार-बार मैदान पर पहुंचकर उन्हें उपचार मुहैया कराया।
Physio of Indian team should be Man of the series for sure. #AUSvIND
— CS Jigar Shah (@FCSJigarShah) January 19, 2021
सीरीज जीतने के बाद भारतीय फैंस ने मजाकिया अंदाज में कहा था- की प्लेयर ऑफ द सीरीज भारतीय फिजियो को मिलना चाहिए।
तीसरा टेस्ट: आश्विन और हनुमा विहारी के डिफेंस को ना भेद पाए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज
तीसरे टेस्ट मैच में रविचंद्रन आश्विन और हनुमा विहारी ने क्रीज पर धैर्य का परिचय देते हुए, भारत के लिए तीसरा टेस्ट मैच बचाया। विहारी और अश्विन ने पांचवें दिन तीसरे सत्र में बल्लेबाजी की और तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यादगार ड्रा निकाला।
6वें विकेट के लिए आश्विन और विहारी ने 247 गेंदों पर मात्र 52 रन बनाए, जहां आश्विन ने 128 गेंदों पर 39 वहीं विहारी ने 161 गेंदों पर 33 रन की अतिधैर्यपूर्ण पारी खेली थी।
इससे पहले दिन की शुरुआत दो विकेट पर 98 रन से हुई और जीत के लिए 309 रन चाहिए थे, जहां चेतेश्वर पुजारा ( 77 रन, 205 गेंद) और ऋषभ पंत ( 97 रन, 118 गेंद) ने 148 रनों की साझेदारी कर भारत की मैच में लड़ाई जारी रखी थी।
चौथा टेस्ट : मैच के आखरी दिन पंत ने अपने बल्ले से लिखा इतिहास
ब्रिस्बेन का गाबा मैदान, सीरीज 1-1 से बराबर! यह वहीं मैदान था जहां ऑस्ट्रेलिया पिछले 33 सालों से नहीं हारा था, और भारतीय टीम का दारमोदार था युवा कंधो पर।
आखिरकार मैच शुरू हुआ और ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय किया और ऑस्ट्रेलिया ने मार्नस लबुशेन की 108 रन की शतकीय पारी के दम पर पहली पारी में 369 का स्कोर बनाया। जवाब में भारतीय पारी 336 रनों पर ही सिमट गयी।
33 रन की मामूली बढ़त के साथ ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 294 रन बनाकर, भारत के सामने 328 रन का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा। मैच के आखरी दिन जीत का इरादा रखने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि आज नए भारत की नई टीम उन्हें बुरी तरह शिकस्त देने वाली है।
चौथे टेस्ट के आखरी दिन 328 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही और मात्र 18 रन के स्कोर पर रोहित शर्मा चलते बने। लेकिन इसके बाद युवा शुभमन गिल (91 रन) और चेतेश्वर पुजारा (56 रन) ने दूसरे विकेट के लिए 118 रन की साझेदारी कर, जीत की नींव रखी।
शुभमन के आउट होने के बाद क्रीज पर आए कप्तान रहाणे (24 रन) जल्दी अपना विकेट गवाकर पवेलियन लौट गए, लेकिन असली एक्शन यहां से शुरू होता है जब क्रीज पर बल्लेबाजी करने के लिए आए ऋषभ पंत। पंत ने पहले तो आक्रमक बल्लेबाजी करते हुए ड्रा की तरफ बढ़ रहे मैच को रोमांच की तरफ मोड़ा, फिर चेतेश्वर पुजारा की साथ 61 रन की साझेदारी कर मैच में टीम की पकड़ मजबूत की।
और अंत में वाशिंगटन सुन्दर (22 रन) के साथ 53 रन की शानदार पार्टनरशिप कर मैच में भारत की जीत सुनिश्चित कर दी, लेकिन अभी ड्रामा बाकी था, सूंदर के आउट होने के बाद शार्दुल भी सस्ते में पवेलियन लौट गए। भारत को अभी भी 20 गेंदों अपर तीन रन की दरकार थी।
लेकिन पंत ने समय खराब नहीं करते हुए हेजलवुड की गेंद पर चौके जड़ते (जो हमारे दिमाग में काफी लम्बे समय तक रहेगा) हुए, गाबा के मैदान पर 33 साल से चली आ रही जीत स्ट्रीक (winning streak) को रोकते हुए, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा जमा लिया।
ऋषभ पंत ने उस दौरान 138 गेंदों पर 89 रन की शानदार, धमाकेदार और यादगार पारी खेली थी।