तस्करी: ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क को भेद नहीं पा रही असम राइफल्स

म्यामार सरकार के साथ चल रही संयुक्त उपाय योजनाओं पर चर्चा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-16 10:19 GMT

शिलांग से लौटकर रघुनाथसिंह लोधी । भारत और बांग्लादेश के नशीले पदार्थों के सौदागरों ने ड्रग्स पहुंचाने के लिए अपना रास्ता बदल दिया है। म्यांमार के जरिये नये रास्ते से मादक पदार्थ याबा की तस्करी की जा रही है। इस तस्करी को रोकना असम राइफल्स के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है। म्यांमार के साथ इस तस्करी को रोकने के मामले पर चर्चा तो चल रही है लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है। हालात यह है कि ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क को असम राइफल्स भेद नहीं पा रही है। पत्र सूचना कार्यालय मुंबई की ओर से महाराष्ट्र के 13 पत्रकारों के दल ने शिलांग स्थित असम राइफल्स के मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान वरिष्ठ अधिकारियों व सैनिकों से अनौपचारिक चर्चा में ड्रग्स तस्करी की नई चुनौती की हकीकत सामने आयी। असम राइफल्स के सैनिक, भारतीय सेना व पुलिस के बीच समन्वय के प्रयासों के बाद भी नशा तस्करी पर अपेक्षित नियंत्रण नहीं लग पाना चिंता का विषय बनता जा रहा है।

बालीवुड तक कनेक्शन : नशा तस्करी रोकने के प्रयासों की जानकारी साझा करते हुए एक अधिकारी ने कहा- बालीवुड अर्थात मुंबई के फिल्म निर्माण क्षेत्र में नशा पहुंचने की चर्चा सही भी हो सकती है। पूर्वोत्तर के राज्यों से मादक पदार्थ बंगलुरु, मुंबई, दिल्ली तक पहुंच रहा है। हाल ही में खुफिया संगठनों की रिपोर्ट आयी है उसके मुताबिक इस तस्करी में एक समुदाय के छात्र संगठन भी सक्रिय है। याबा मादक पदार्थ सबसे अधिक चलन में है। पागलपन की दवा व नाजी स्पीड नाम से प्रचलित याबा टैबलेट कैफीन और क्रिस्टल मेथ का एक संयोजन है। नशे की पार्टियों में लोकप्रिय इस ड्रग्स की सर्वाधिक मांग है।

खुली सीमा : भारत व म्यामार की सीमा कई स्थानों पर खुली है। इन क्षेत्रों में अनेक आदिवासी समुदाय हैं। आदिवासी समुदाय के कुछ नागरिक म्यांमार तो कुछ भारत में रहते हैं। ऐसे भी घर हैं जिसका एक हिस्सा भारत तो एक म्यांमार में है। दो देश की सीमा उन्हें अलग नहीं कर पायी है। इसलिए उन नागरिकों के माध्यम से व्यापार होता है। उनकी आड़ में नशा तस्करी भी होने लगी है। सीमा क्षेत्र से सालाना 1100 से 1200 करोड़ की नशा तस्करी होने लगी है। इनमें सिंथेटिक मादक पदार्थ का प्रमाण अधिक है।

महिला सैनिक : असम राइफल्स अनुशासन के साथ ही आवश्यक बदलाव को स्वीकार करती है। शिलांग स्थित मुख्यालय के संग्रहालय में आसाम राइफल्स की शौर्यगाथा , शौर्यचिन्ह के साथ ही बदलती पोशाक की प्रतिमाएं हैं। आसाम राइफल्स में महिला कांस्टेबल भी हैं। भारत और म्यांमार के बीच 1643 किमी लंबी सीमा की सुरक्षा की जवाबदारी आसाम राइफल्स संभाल रही है। असम, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचलप्रदेश सहित पूर्वोत्रर के राज्यों में कहीं भी तनाव की स्थिति पर नियंत्रण के लिए असम राइफल्स के जवान पहुंच जाते हैं। 188 वर्ष से कार्य कर रही आसाम राइफल्स ने अंगरेज शासन काल से लेकर दूसरे विश्व युद्ध के समय भी सेवा कार्य किए हैं। युद्ध में बचाव कार्य के लिए ढाई मूर्ति प्रतिकात्मक सम्मान उनके पास है। ढाई मूर्ति में महिला पुरुष व बच्चे की मूर्ति है।

मणिपुर की स्थिति पर नियंत्रण : असम राइफल्स के महासंचालक लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीपचंद्रन नायर ने चर्चा में कहा-हर क्षेत्र में भ्रामक बातें सबसे बड़ी चुनौती होती है। सजग नागरिकों से आवाहन है कि वे किसी भी तरह की भ्रामक बातों में न आए। मणिपुर में स्थिति नियंत्रण में हैं। वहां अनेक कपोलकल्पित वीडियों के कारण नागरिक भ्रमित हुए। पूर्वोत्तर के राज्यों में घुसखोरी अधिक नहीं है लेकिन मणिपुर, नागालैंड, दक्षिण अरुणाचल प्रदेश के कुछ भागों में परेशानी है। मणिपुर समान तनाव भरे क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं बहाल होने लगी है।

राज्यपाल से भेंट : महाराष्ट्र के पत्रकारों के दल ने मेघालय के राज्यपाल फागु चौहान से भेंट की। शिलांग स्थित राजभवन में राज्यपाल चौहान ने मेघालय की संस्कृति पर चर्चा की। पत्र सूचना कार्यालय मुंबई की उप संचालक जयदेवी पुजारी स्वामी व अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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