कांग्रेस ने तैयार की सुरखी विधानसभा की स्क्रिप्ट

अपनों की नाराजगी भाजपा पर पड़ सकती है भारी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-12 09:01 GMT

डिजिटल डेस्क,सागर।

जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, कांग्रेस से भाजपा में आए सूबे के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके प्रति भाजपाइयों में बढ़ती नाराजगी ने यहां कांग्रेस की चुनावी स्क्रिप्ट तैयार करवा दी है। कांग्रेस की रणनीति यह है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता को ही भाजपा के खिलाफ लड़ा दिया जाए। इससे भावी प्रत्याशी को कांग्रसियों का तो साथ मिलेगा ही, नाराज भाजपाइयों के सहयोग से वह जीत का परचम फहरा लेगा। ऐसा नहीं कि भाजपा संगठन कांग्रेस की इस रणनीति को नहीं समझ रहा है। उसकी नजर भी सुरखी में पार्टी में गोविंद सिंह राजपूत को लेकर पनप रहे आक्रोश पर नजर है। लेकिन अपने दो मंत्रियों भूपेन्द्र व गोविंद के आमने-सामने होने के कारण वह कोई कड़ा फैसला नहीं ले पा रही। कड़े फैसले में हो रहे विलंब और इसके चलते एक-एक कर बड़े व स्थापित नेताओं सहित उनके समर्थकों का पार्टी छोड़ते जाना, चुनाव में भाजपा को मुश्किल में डाल सकता है।

ऐसे हुई शुरूआत

मंत्री राजपूत के खिलाफ पहला नजारा करीब चार महीने पहले तब दिखाई दिया जबकि इनके मंत्रिमंडलीय साथी नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इन्हें लेकर बेरूखी दिखाना शुरू कर दी। इसे भूपेन्द्र सिंह की रजामंदी कहें या फिर असंतुष्टों का स्व-विवेक से लिया फैसला, सुरखी विधानसभा क्षेत्र के नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक के बाद एक पार्टी छोडऩा शुरू करा दिया। सुरखी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा इसका आभास तब हुआ जबकि अगसत महीने के पहले सप्ताह में राजकुमार धनौरा जैसे बड़े नेता ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। सिलसिला जारी है। नाराज भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के कांग्रेस में जाने की कतार बहुत लंबी दिख रही है। राजकुमार धनौरा के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता नीरज शर्मा भी कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय के दरवाजे के करीब ही खड़े हैं। यदि उन्हें आंखों की परेशानी नहीं हुई होती तो वे अब तक पाला बदल चुके होते। नीरज शर्मा सुरखी विधानसभा क्षेत्र के राहतगढ़ ब्लॉक का बड़ा नाम है। वे जनपद तथा नगर परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इनके कांग्रेस में जाने से भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। दल-बदल की कतार में खड़े भाजाइयों में एक कैबिनेट मंत्री के भतीजे और दूसरे भाजपा से राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं।

उपचुनाव जिताने वाले हाथ धीरे-धीरे कटते जा रहे

2018 के विधानसभा चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के सुधीर यादव को हरकर चुनाव जीते थे। दल-बदल के बाद 2020 में हुए उपचुनाव में इन्हें भाजपा के टिकट पर जिताने के लिए राजकुमार धनौरा ने सीहोरा, नीरज शर्मा ने राहतगढ़ और राजेंद्र सिंह मोकलपुर ने सुरखी और बिलहरा क्षेत्र में मदद की थी। पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर यादव ने यादव वोट बैंक और नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दांगी और ओबीसी वोट बैंक को साधा था। यही वजह रही कि दल-बदल के बावजूद गोविंद सिंह ने कांग्रेस की पारूल साहू को 40 हजार से अधिक वोटों से हराने में कामयाब रहे। यह उनकी अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। पिछले तीन-चार महीने दरम्यान परिदृश्य बहुत तेजी से बदला है। उपचुनाव में गोविंद का साथ देने वाले हाथ इस बार एक के बाद एक कटते जा रहे हैं। रहे भाजपा के सुधीर यादव व राजेंद्र सिंह मोकलपुर इनकी गोविंद से दूरियां जग जाहिर हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव तक गोविंद सिंह को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

Tags:    

Similar News