केंद्र पर निशाना: शरद पवार बोले - निमंत्रण तो नहीं मिला, लेकिन 22 जनवरी के बाद अयोध्या जरूर जाऊंगा

  • राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार का बयान
  • 22 जनवरी के बाद अयोध्या जरूर जाऊंगा
  • कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-14 10:28 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घरानेशाही को खत्म करने की टिपण्णी पर भी उन्होंने सीधा सवाल पूछा। अब वास्तव में घरानाशाही क्या है? एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है, एक व्यापारी का बेटा व्यापारी बन जाता है और एक किसान का बेटा किसान बन जाता है। फिर, अगर एक राजनेता का बेटा राजनीति में आता है, तो यह घरानेशाही कैसे हो गई? प्रधानमंत्री को घरानेशाही की बजाय बुनियादी सवालों का जवाब देना चाहिए। महंगाई, बेरोजगारी, कृषि उपज का मूल्य की जैसी समस्याओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य दौरे के दौरान वंशवाद पर टिप्पणी की. अगर कोई नेतृत्व समाज में अच्छा काम करके आगे आता है तो यह कैसा वंशवाद है?

राम मंदिर से जुड़े एक सवाल के जवाब में पवार ने स्पष्ट किया कि मैं अयोध्या जरूर जाऊँगा, मगर 22 जनवरी के बाद। प्रभु रामचन्द्र भारत की पहचान हैं। देश के चारों शंकराचार्यों ने ठान लिया है कि जब तक राम मंदिर का काम पूरा नहीं हो जाता, वे मंदिर नहीं जाएंगे। अयोध्या भीड़भाड़ वाले समय की बजाय देर से जाउंगा। 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा होने जा रही है, मुझे उसका निमंत्रण नहीं मिला है। मगर कोई बात नहीं लेकिन मैं जाऊंगा। शरद पवार ने कहा कि मैं 22 जनवरी के बाद अयोध्या जरूर जाऊंगा। श्री राम सबके हैं। अयोध्या के फ्लाइट के टिकट के दाम को भी बढ़ा दिया गया है। दस हजार का टिकट चालीस हजार का हो गया है। शरद पवार ने यह भी कहा है कि चूंकि हवाई यात्रा इतनी महंगी है, इसलिए अगर कोई अयोध्या नहीं जाता है, तो यह समझना गलत होगा कि उस व्यक्ति को श्री राम में कोई दिलचस्पी नहीं है।

शरद पवार ने आगे कहा, देश की कृषि अर्थव्यवस्था को लेकर वर्तमान सरकार की नीति किसान विरोधी है। इसलिए उनसे कोई उम्मीद नहीं थी। प्याज किसानों ने सोचा कि वे उनकी समस्या का समाधान करेंगे लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आज देश का हर किसान संकट में है लेकिन अभी भी किसानों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस फैसला नहीं आ रहा है। केंद्र सरकार की नीतियों में लगातार बदलाव के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। इसलिए किसानों के लिए अन्यायकारी नीतियों को बदलना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि, खेती और खेती उद्योग में राजनीति न करते हुए किसानों को संकट से उबारने के लिए एक साथ आना जरुरी है।

इंडिया गठबंधन की बैठक हुई जिसमें शरद पवार ऑनलाइन शामिल हुए। इस बैठक की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, बैठक में कुछ साथियों ने सुझाव दिया कि मल्लिकार्जुन खड़गे को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व संभालना चाहिए। उनमें से कई ने इस पर सहमति भी जताई। इसी तरह से यह भी सुझाव दिया गया कि नीतीश कुमार को गठबंधन के संयोजक पद की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, लेकिन नीतीश को लगता है कि आयोजक पद की कोई जरूरत नहीं है। जो अभी प्रभारी हैं वे ही जिम्मेदारी संभालें। आज की बैठक में, कई लोगों ने सुझाव दिया कि एक संयुक्त बैठक आयोजित करने के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए। आज, विभिन्न राजनीतिक दल सत्तारूढ़ दल का विरोध करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। यह इंडिया गठबंधन के लिए प्लस पॉइंट है।

प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन? इस सवाल के जवाब में पवार ने कहा,मैं आपको 1977 का उदाहरण दूंगा। 1977 के चुनाव हुए, हमने तब प्रधानमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं की थी।. चुनाव हुए, उस चुनाव में जनता ने जिस पार्टी को चुना, उसने मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया। जब हमने चुनाव का सामना किया तो हमने किसी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं चुना या मोरारजी देसाई का चेहरा पेश नहीं किया। हालांकि, हम तब चुनाव जीत गए क्योंकि आपातकाल विरोधी भावना प्रबल थी। हमने इसे ध्यान में रखते हुए वोट मांगे और लोगों ने वोट दिए। परिणामस्वरूप हमें किसी को प्रोजेक्ट करने की जरूरत नहीं पड़ी। बस इतना ही। स्थिति अब भी वैसी ही है। हमें किसी को प्रोजेक्ट करने की जरूरत नहीं है।"

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