महिलाओं को नसबंदी के बाद नहीं मिले बिस्तर और गर्म कपड़े - कड़ाके की ठंड में ठिठुरती रहीं 

महिलाओं को नसबंदी के बाद नहीं मिले बिस्तर और गर्म कपड़े - कड़ाके की ठंड में ठिठुरती रहीं 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-18 08:42 GMT
महिलाओं को नसबंदी के बाद नहीं मिले बिस्तर और गर्म कपड़े - कड़ाके की ठंड में ठिठुरती रहीं 

डिजिटल डेस्क सीधी। नसबंदी कराने आईं महिलाओं को एक बार फिर विभागीय बदइंतजामी का सामना करना पड़ा है। जिला मुख्यालय में पूर्व में लगाये गये शिविर से सबक न लेकर मड़वास स्वास्थ्य केन्द्र में हुई नसबंदी के बाद  आधा सेैकड़ा महिलाओं को हाल में बिछाई गई दरी में डाल दिया गया था। कड़कड़ाती ठंड से बचाने गर्म कपड़े भी नहीं उपलब्ध कराये जा सके हैं। 
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मड़वास में आयोजित नसबंदी शिविर अव्यवस्थाओं के बीच संपन्न हुई। कड़ाके की ठण्ड के बीच करीब 44 महिलाओं की नसबंदी की गई लेकिन आपरेशन के बाद उन्हें लेटने के लिये बिस्तर तक उपलब्ध नहीं कराया गया। लेटने के लिये एक हाल में दरी की व्यवस्था ही थी। महिलाओं के परिजनों ने आनन-फानन में अपने स्तर से गर्म कपड़ों की व्यवस्थायें बनाई जिससे महिलाओं को कम से कम रात गुजारने किसी तरह की दिक्कतें न हों। देर रात तक चले आपरेशन के बाद डाक्टर्स अपने आवास के लिये रवाना हो गये। उनके जाते ही स्वास्थ्य केन्द्र में मौजूद नर्सें भी गायब हो गईं। लिहाजा महिलाओं को भगवान भरोसे ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मे रात गुजारनी पड़ी। बता दें कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मड़वास में सोमवार को नसबंदी ऑपरेशन कैंप था। ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों के चले जाने पर यहां और भी ज्यादा अव्यवस्थायें हो गईं। परिजनों की फरियाद पर जब यहां का जायजा मीडिया ने लिया तो मालुम पड़ा कि ऑपरेशन कैंप के दौरान 44 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया है। आपरेशन के  लिये सीधी से महिला चिकित्सा विशेषज्ञ डा. दीपारानी इसरानी एवं मझौली से डॉ राकेश तिवारी आये हुये थे। आपरेशन के लिये मड़वास से 15-20 गांव की महिलाएं आई थी। नसबंदी शिविर की व्यवस्थाओं के संबंध में जब जानकारी मांगी गई तो वहां मौजूद कम्पाउण्डर विश्वनाथवारी ने बताया कि 44 महिलाओं की नसबंदी आपरेशन की गई है,  44 गद्दे हॉस्पिटल में नहीं है जिसके चलते महिलाओं को लेटने के लिये दरी बिछाकर उनको वही  लिटा दिया गया। जब महिलाओं से बात की गई तो उनके द्वारा कहा गया कि यहां ओढऩे बिछाने के लिए सुचारू रूप से कोई व्यवस्था नहीं की गई। जिसके चलते उन्हें घर से लाए हुए कपड़े  से इतनी भयंकर ठंड से बचने के लिए उपयोग किया जा रहा है। हॉस्पिटल में मौजूद नर्सों से बात की गई तो नर्स प्रीती पटेल ने कहा कि आप हॉस्पिटल में जासूसी करने के लिए आए हैं। डॉक्टरों के जाने के बाद हॉस्पिटल स्टाफ पूरी तरह से गोल दिखा। एक भी नर्स महिलाओं का हाल जानने के लिए उनके पास नजर नहीं आई।
निरीक्षण करने नहीं पहुंचते अधिकारी 
शासन द्वारा दिये गये परिवार नियोजन के लक्ष्य को पूरा करने मैदानी अमले पर विभागीय अधिकारी दवाब तो बनाते हैं किंतु जिस दिन शिविर का आयोजन होता है वहां निरीक्षण करने कोई भी नही पहुंचता है। आपरेशन के लिये विशेषज्ञ चिकित्सकों की ड्यूटी जरूर लगाई जाती है मगर शिविर में आने वाली महिलाओं के लिये क्या इंतजाम हुये हैं इसे देखने वाला कोई नहीं है। जाहिर है जब बदइंतजामी के बीच ही नसबंदी शिविर आयोजित होते रहेंगे तो कड़कड़ाती ठंड में शिविर में भाग लेने कोैन पहुंचेगा। बता दें कि सीएमएचओ जिला मुख्यालय में तो ब्लाक मुख्यालय में बीएमओ पड़े रहते हैं जिन्हें अव्यवस्था से कोई लेना देना नहीं है। पूछे जाने पर एक ही जवाब मिलता है कि वह देखते हैं और जिम्मेवार कर्मचारियों  पर कार्रवाई करेंगे। 
इनका कहना है-
मैं ऑपरेशन करने के बाद जब मझौली के लिए रवाना हुआ हॉस्पिटल स्टाफ को पूरी तरह से कपड़े देने की बात कह कर आया था। साथ ही नर्सों को महिलाओं की सतत निगरानी के निर्देश भी दिये थे। अगर ऐसा हुआ है तो मैं पता लगाता हूं और तुरंत व्यवस्था  करवाता हूं। 
डॉ राकेश तिवारी बीएमओ मझौली 
 

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