उज्जैन: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अन्तर्गत पीसीपीएनडीटी पर स्टेक होल्डर्स की कार्यशाला आयोजित
उज्जैन: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अन्तर्गत पीसीपीएनडीटी पर स्टेक होल्डर्स की कार्यशाला आयोजित
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। उज्जैन जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री गौतम अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अन्तर्गत जिला स्तर पर पीसीपीएनडीटी पर स्टेक होल्डर्स की कार्यशाला का आयोजन बृहस्पति भवन में किया गया। कार्यशाला के प्रारम्भ में सहायक संचालक महिला बाल विकास श्री साबिर अहमद सिद्धिकी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अन्तर्गत जिले में बालिका लिंगानुपात के आंकड़ों के बारे में अवगत कराते हुए बताया गया कि जब से उज्जैन जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना संचालित हुई है, तब से बालिका लिंगानुपात में काफी सुधार आया है एवं महिला बाल विकास विभाग बालिका जन्मदर/लिंगानुपात की वृद्धि हेतु सतत प्रयासरत है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री गौतम अधिकारी द्वारा कार्यशाला के महत्व के बारे में अवगत कराते हुए पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत क्रियान्वयन हेतु सभी स्टेक होल्डर्स को अवगत करवाया है कि कन्या भ्रूण हत्या न हो, इसके लिये आवश्यक है कि प्रेग्नेंसी वॉच की जाये, अर्थात गर्भधारण की समयावधि के दौरान विशेष निगरानी की आवश्यकता है। पीसीपीएनडीटी विशेषज्ञ के रूप में कार्यकारी निदेशक एमपी हेल्थ वालेंटरी एसोसिएशन इन्दौर श्री मुकेश सिन्हा द्वारा मुख्य सत्र में प्रशिक्षण दिया गया। उनके द्वारा बताया गया कि पीसीपीएनडीटी में सबसे अहम भूमिका स्वास्थ्य विभाग की होती है। श्री सिन्हा ने इस एक्ट के नियमों से अवगत करवाते हुए बताया कि इस एक्ट में दो समिति होती है सलाहकार समिति (एडवाजरी कमेटी) और निगरानी समिति (मॉनीटरिंग कमेटी) तथा सभी सोनोग्राफी सेन्टर्स को प्रत्येक माह की 5 तारीख को रिपोर्टिंग करना होती है।
मॉनीटरिंग समिति द्वारा 90 दिनों में सोनोग्राफी सेन्टर्स का निरीक्षण किये जाने का प्रावधान है। साथ ही इस विषय की गंभीरता एवं लिंग परीक्षण करवाने की घटना उजागर होने पर क्या कार्यवाही की जाना चाहिये, आदि मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी गई। संभागीय उप संचालक डॉ.मंजुला तिवारी द्वारा सभी प्रतिभागियों को पीसीपीएनडीटी के क्रियान्वयन में जिन चुनौतियों से सामना करना पड़ता है, उसके लिये आवश्यक है कि इसकी संवेदनशीलता को समझते हुए सजग रूप से सभी एकसाथ काम करें और लिंग निर्धारण जांच करवाने की घटना कमेटी के सामने लाई जाये। उक्त कार्यशाला में लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें स्वास्थ्य, पुलिस, शिक्षा, एसजेपीयू, चाईल्ड लाइन उज्जैन और महिला बाल विकास के समस्त परियोजना अधिकारी स्टेक होल्डर्स के रूप में सम्मिलित हुए। प्रशिक्षण का संचालन श्रीमती प्रियंका त्रिपाठी द्वारा किया गया और आभार प्रदर्शन श्री सिद्धिकी द्वारा किया गया।