सात वर्ष से ढाई हजार चीतलों का नहीं हो पाया ट्रांसलोकेशन
जिम्मेदार खामोस, मामला संजग टाइगर रिजर्व का सात वर्ष से ढाई हजार चीतलों का नहीं हो पाया ट्रांसलोकेशन
डिजिटल डेस्क सीधी। संजय टाइगर रिजर्व में बाघों के आहार के लिए चीतल की संख्या बढ़ाने मिले लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पा रही है। बीते वर्ष 2014 में चीतल की बढ़ोत्तरी के लिए बाधवगढ़ टाइगर रिजर्व से ट्रांसलोकेट करने का अनुबंध हुआ था। लेकिन अनुपलब्धता की वजह से अभी तक चीतलों की संख्या पूरी नहीं हो पाई है। सूत्रों की मानें तो दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते चीतल उपलब्धता का कार्यक्रम पीछे हो गया है। जबकि संजय टाइगर रिजर्व सीधी के अंतर्गत 2429 चीतल ट्रांसलोकेशन किया जाना था। लेकिन आज तक सिर्फ 1682 चीतल ही ट्रांसलोकेट हो पाए हैं। अभी 747 चीतल बाधवगढ़ टाईगर रिजर्व से संजय टाइगर रिजर्व में ट्रांसलोकेट होना बाकी है।
संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत 9 वनपरिक्षेत्र आते हैं। जिसमें कोरजोन व बफर जोन दोनों शामिल हैं। जब टाईगर के आहार कोरजोन में पर्याप्त उपलब्ध होते हैं तब वे बफर जोन में कभी-कभार टहलने के हिसाब से ही जाते हैं। लेकिन जब उनका आहार कोरजोन में नहीं उपलब्ध हो पाता तब वे बफर जोन के अलावा उत्पादन वन क्षेत्र में भी दौड़ लगाना शुरू कर देते हैं। बीते सप्ताह सिंगरौली जिले के सरई अंचल में एक बाघिन का शिकार भी हुआ जिसमें शिकारियों को पकड़ भी लिया गया है। यदि कोरजोन में टाईगर के लिए छोड़े जाने वाले शिकार वाले प्रजाति के जानवर उपलब्ध होते तो शायद उत्पादन क्षेत्र वाले वन में ये टाइगर दौरा न करते। जो भी हो लेकिन हिरनों की संख्या टाइगर रिजर्व में शायद कम पड़ रही होगी तभी तो वन विभाग द्वारा बाधवगढ़ टाईगर रिजर्व की नर्सरी से क्रमश: उपलब्ध होने वाले हिरनों को संजय टाईगर रिजर्व तक पहुंचाने का जिम्मा सौपा गया था। जो भी हो चाहे वह वजह कोविड 19 की महामारी का रहा हो अथवा अन्य कोई बात हो लेकिन टाइगर रिजर्व में टाइगर की अचानक बढ़ी संख्या को देखते हुए इतना अवश्य है कि उनके आहार बिहार में कमजोरी नहीं रही तभी तो अन्य टाइगर रिजर्व की भांति संजय टाईगर रिजर्व भी अपनी तरक्की में पूर्णता प्रदान कर पाया। कुल मिलाकर यदि बाधवगढ़ टाइगर रिजर्व शीघ्रता से संजय टाइगर को चीतलों की खेप शीघ्र पहुंचा दे तो संजय टाईगर में रह रहे टाइगरों को अन्यत्र नहीं भटकना पड़ेगा।