रोजगार गारंटी योजना में जमकर हो रहा है बंदरबांट
सिमरिया रोजगार गारंटी योजना में जमकर हो रहा है बंदरबांट
डिजिटल डेस्क सिमरिया । केन्द्र एवं राज्य सरकार के द्वारा किसानों को समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है इसी तारतम्य में रोजगार गारंटी योजना के तहत किसानों की फसलों को जानवरों द्वारा नुकसान ना पहुंचाया जाए क्योंकि हमारा देश कृषि प्रधान देश है और हमारे यहां कृषि जीवन का मुख्य आधार है तथा किसान का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। किसान जितना समृद्ध होगा देश की अर्थव्यवस्था उतनी ही संपन्न व समृद्ध होगी। किसानों की हितार्थ विभिन्न योजनाएं उनके संरक्षण के लिए चलाई जा रही हैं। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में फसल सुरक्षा दीवार ध्पत्थर की बाड़ी बनाने हेतु योजना का संचालन किया जा रहा है। उसी के तहत मनरेगा योजना में लाखों रुपए की राशि स्वीकृत की गई है ऐसे किसान जिनके खेत सडक़ों के किनारे स्थित हैं उनकी फसल सुरक्षा हेतु शासन द्वारा फसल सुरक्षा दीवार बनवाई जा रही है जिसका केवल एक मात्र उद्देश्य यह है कि आवारा पशुओं से किसान की फसल को नुकसान ना पहुंच सकें व उनकी फसल सुरक्षित रह सके इस हेतु प्रत्येक ग्राम पंचायत में फसल सुरक्षा दीवार बनाने हेतु 1000 मीटर के हिसाब से लगभग पन्द्रह लाख रुपए की राशि के हिसाब से ग्राम पंचायतों को राशि आवंटित की गई है तथा यह प्रावधान किया गया है कि पत्थर से निर्मित फसल सुरक्षा दीवार जमीन के नीचे से 1.20 मीटर एवं ऊपर 60 सेंटीमीटर सकरी बनाकर उस पर प्लास्टर सीसी करना है जिससे निर्मित पत्थर की सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त ना हो सके व उसको किसी भी प्रकार की क्षति ना हो। इसके अलावा जिस उद्देश्य को लेकर शासन द्वारा इस पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं उस उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हो सके।
कार्य की गुणवत्ता पर उठ रहे हैं सवाल
इस प्रकार की बातें व योजनाओं की गुणवत्ता केवल कागजों तक ही सीमित रहती है ऐसे ही मामले पवई जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सिमरिया, रैकरा, देवरी, कोलकरहिया, गूढा ग्राम पंचायतों में देखने को मिल सकते हैं। जहां पर पत्थरों से बनाई गई फसल सुरक्षा दीवार के निर्माण में पंचायत से लेकर जनपद जिला तक के अधिकारी कर्मचारियों ने मिलकर बंदरबांट किया गया है तथा सुरक्षा दीवार बनाते समय किसी भी प्रकार की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है साथ ही पत्थरों को लगाते समय किसी भी ग्राम पंचायत में मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है ना ही पंचायतों में कहीं भी सुरक्षा दीवार के ऊपर प्लास्टर ध् सी सी किया गया है।
जिन पर गुणवत्ता की जांच की जिम्मेदारी उन्हीं ने किया भ्रष्टाचार
जनपद पंचायत पवई से प्राप्त जानकारी के अनुसार सेक्टर सिमरिया कि जिन पंचायतों में फसल सुरक्षा दीवार का निर्माण कराया जा रहा है उनमें से अधिकांश ग्राम पंचायतों का प्रभार उपयंत्री अरविंद त्रिपाठी के पास है एवं उनके ऊपर ग्राम पंचायतों द्वारा कराए जा रहे कार्य की गुणवत्ता की जांच की जिम्मेदारी है परंतु देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि उपयंत्री ने आंख मूंदकर ही लाखों रुपए की राशि बगैर गुणवत्ता की जांच किए हुए ही आहरण की अनुमति प्रदान कर दी है। जिससे स्वयं ही ऐसा प्रतीत होता है कि उपरोक्त निर्माण कार्य में हुए जमकर भ्रष्टाचार मैं पंचायत से लेकर जिला जनपद पंचायत तक के अधिकारी कर्मचारियों की संलिप्तता दिखाई देती है जानकारी के अनुसार फसल सुरक्षा दीवार में लोकल पत्थर का उपयोग कर कोठी खदान के बिल लगाए गए हैं जबकि बाड़ी निर्माण में जिस पत्थर का उपयोग किया गया है वह ब्लैक पत्थर है जबकि जिस कोठी खदान के बिल वाउचर लगाए गए हैं वहां लाल कलर के पत्थर का उत्पादन होता है एवं उक्त खरीदी बिक्री में जिनको भी बेंडर बनाया गया है उनका इस व्यवसाय से दूर-दूर तक वास्ता नजर नहीं आता है जो स्वयं ही प्रतीत होता है कि उपरोक्त निर्माण कार्य में पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक जमकर बंदरबांट किया गया है।
चहेतो को बनाया बेंडर और खातों में डाली लाखों रुपए की राशि
रोजगार गारंटी योजना के तहत जो फसल सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है उसमें प्रावधानों के तहत जहां से भी पत्थर क्रय किया जाना है वहां से लेकर संपूर्ण कार्य तक मजदूरों से कार्य कराने का प्रावधान है परंतु स्थानीय स्तर से लेकर जनपद पंचायत में पदस्थ कर्मचारियों की मिलीभगत से परिवहन से लेकर मजदूरी के भुगतान तक अपने चहेते लोगों को बेडर बना कर एवं कुछ विशेष चयनित लोगों के खातों में संपूर्ण राशि का भुगतान किया गया है। जिससे शासन की जन कल्याणकारी योजना को जनपद पंचायत में पदस्थ कर्मचारियों के संरक्षण में पलीता लगाया जा रहा है विदित है कि जिस सामग्री का क्रय कम से कम राशि में स्थानीय स्तर एवं आसपास से किया जा सकता था उसका क्रय दूसरी एवं अन्य जगह से किया गया है। जिससे शासन की राशि का परिवहन एवं अन्य कार्यों में अधिकांश व्यय किया गया है जो स्वता ही अपने आप में भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
जहां कृषकों की जमीन नहीं वहां भी बना दी फसल सुरक्षा दीवार
ग्राम पंचायत कोलकरहिया जहां पर सीमेंट फैक्ट्री हेतु खनन का कार्य प्रस्तावित है तथा अधिकांश किसानों की सडक़ के दोनों किनारों पर स्थित जमीन स्प्रिंगवे माइंस कंपनी द्वारा पूर्व में ही किसानों से क्रय कर अधिग्रहित कर ली गई है जब जमीन कंपनी द्वारा अधिग्रहित कर ली गई है तो ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि उन खेतों में फसल सुरक्षा दीवार बनाने का क्या प्रयोजन है जब जमीन किसानों की है ही नहीं परंतु वहां पर भी जिम्मेदारों ने मिलकर पत्थर की दीवार बनाकर के लाखों रुपए का भुगतान करवा लिया गया ह।ै यह खुलेआम भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है इसके बाद ही जिले के वरिष्ठ अधिकारी चुप हैं आम आदमी परेशान है उसको सुविधाओं का लाभ मिल नहीं पा रहा है ऊपर शासन से योजनाएं तो आती है जिनका उद्देश्य आम आदमी की आवश्यकता व रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है परंतु जमीनी हकीकत यह है कि सारी योजनाएं भ्रष्टाचार का पर्याय बन जाती हैं राशियों का बंदरबांट होता है योजनाएं केवल कागजों पर दिखाकर उनकी उपलब्धि का ढिंढोरा पीटा जाता है जबकि वास्तविकता कुछ और ही बयां करती है जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए कि इस प्रकार लाखों रुपए की राशि का बंदरबांट होने से रोका जाए वा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाए आम आदमी जिसके लिए यह योजना शासन द्वारा संचालित की जा रही हैं उनको लाभ मिल सके एवं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों के ऊपर कार्यवाही हो सके और जनता के बीच में सकारात्मक संदेश पहुंच सके।
इनका कहना है
""मेरे संज्ञान में आपके द्वारा जानकारी लाई गई है इस प्रकरण की बिंदुवार जांच कराई जाएगी जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।""
प्रसन्न चक्रवर्ती
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पवई
""मेरे द्वारा किसी भी प्रकार का मूल्यांकन नहीं किया गया है इस संबंध में आप पंचायत स्तर पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।""
अरविंद त्रिपाठी
उपयंत्री जनपद पंचायत पवई