उज्जैन: हम से जुड़े हुए बहुत लोग है क्या हम उनके लिए जी नहीं सकते ? - डॉ. पांखुरी वक्त
उज्जैन: हम से जुड़े हुए बहुत लोग है क्या हम उनके लिए जी नहीं सकते ? - डॉ. पांखुरी वक्त
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। उज्जैन हम अपनी प्रकृति के विपरित जी रहे है, इसी कारण हम अपनी रोजमर्रा की बातों को, छोटी-छोटी बातों को तनाव बना लेते हैं। यही तनाव गहरा और गहरा हो जाता है तो हम आत्महत्या जैसा गैर कानूनी कदम उठा लेते हैं। हम से जुड़े हुए बहुत लोग है क्या हम उनके लिए जी नहीं सकते ?आत्महत्या कानूनी अपराध है, डिजिटल और सोशल साइट्स की भ्रामक दुनियां को छोड़ अपनों के बीच तनाव पर बात करना इसका उपाय है। यह बात राज्य आनंद संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय दिवसों के आयोजन की श्रृंखला में 10 सितम्बर 2020 को "विश्व आत्महत्या निषेध दिवस" पर ऑनलाइन वेबिनार में डॉ. पांखुरी वक्त ने कही। उन्होंने यह भी बताया कि, कोरोना के बाद भारत में आत्महत्याएँ बढ़ रही है। इन परिस्थितियों में राज्य आनंद संस्थान और सभी आनंदकों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। संस्थान के सीईओ अखिलेश अर्गल भोपाल से ऑनलाइन उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, व्यक्ति मस्तिष्क मे व्याप्त अवसाद, दुख, चिंता, हताशा, पीड़ा, हीन भावना, निराशा, अनियंत्रित क्रोध, नशे की प्रवृत्ति, संवादहीनता की स्थिति से व्यक्ति को बाहर निकालने का प्रयास राज्य आनंद संस्थान निरंतर कर रहा है। उज्जैन आनंद विभाग प्रभारी पी.एल.डाबरे ने बताया कि जिले में सक्रिय आनंदकों द्वारा इसी दिशा में सकारात्मक काम किए जा रहे है। जिला संपर्क व्यक्ति डॉ. प्रवीण जोशी ने कहा कि, यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है। आत्महत्या का विचार एक तात्कालिक संकट है और ऐसा प्रायः देख गया है कि सही समय पर मदद मिलने से इसे टाला जा सकता है। प्रायः घरेलू परेशानियों से त्रस्त गृहिणियां, लंबी बीमारी से तंग आए हुए रोगी, बेरोजगार, किसान, विद्यार्थी, बंदीगृह में बंदी, दिवालिया हो जाने वाले लोग, प्रेम में असफल होने पर युवा, नशे की लत, निर्धन, बेरोजगार, किसान, कोरोना पीड़ित इत्यादि आत्महत्या करने पर विवश पाए जा रहे हैं। इनको हताशा व अवसाद की मनःस्थिति से निकालने के लिए अपनों के बीच रहना और निरंतर संवाद करते रहना जरूरी है। इस ऑनलाइन वेबिनार में जिले के आंनदकों के साथ प्रतियोगिता परीक्षा के विद्यार्थियों और खेल की तैयारी कर रहे खिलाड़ियों ने भी सहभागिता की।