फिर नहर किनारे की खस्ताहाल सड़क से निकल रहे वाहन 

बाणसागर नहर दुर्घटना से नहीं लिया सबक, फिर नहर किनारे की खस्ताहाल सड़क से निकल रहे वाहन 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-30 10:01 GMT
फिर नहर किनारे की खस्ताहाल सड़क से निकल रहे वाहन 

डिजिटल डेस्क सीधी। छ :माह पहले हुई बाणसागर नहर बस दुर्घटना से लगता है प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। दुर्घटना में मारे गए 54 लोगों के बाद नहर किनारे से निकलने वाली खस्ताहाल सड़क को अवरूद्ध तो कर दिया गया था किन्तु फिर से वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। सड़क की स्थिति जस की तस बनी हुई है जिस कारण दुर्घटना की पुनर्रावृत्ति हो सकती है। जिले के तहसील रामपुर नैकिन अन्तर्गत बघवारांचल क्षेत्र के दर्जन भर गांवों की सरहद से 30 मीटर चौड़ाई के साथ निकलने वाली बाणसागर नहर मार्ग की सड़क तथा पुलिया भले ही शासन तथा प्रशासन की नजर में दुरुस्त हो गई हो लेकिन हकीकत यह है कि जर्जर सड़क व पुलिया एवं सड़क पटरी के किनारे बढ़ रहे अतिक्रमण के कारण बीते फरवरी माह में घटित हुई अविस्मरणीय दर्दनाक घटना की पुनरावृत्ति किसी भी समय हो सकती है। बीते फरवरी माह में नहर के भीतर गिरी बस के कारण उसमे सवार 54 लोगों की बलि चढऩे के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं खुली है। ज्ञात हो कि उक्त घटना के उपरान्त शासन एवं प्रशासन की ओर से बहुआयामी प्रबंध किए जाने की बात कह कर तथा बेघर हुए व्यथितों के घर जाकर पांच से दस लाख रुपये देकर मलहम लगाने का काम तो कर लिया गया था लेकिन सारी घोषणाएँ ढाक के तीन पात बन कर रह गई। नहर मार्ग की सड़क पर से आटो रिक्शा, टैक्सी, ट्रेक्टर आदि छोटे वाहनों के अलावा अन्य बड़े व भारी बाहनों के चलन पर रोक लगाते हुए प्रशासन द्वारा नहर मार्ग के शुरुआती ग्राम पटना तथा बुढग़ौना बघवार में वेरीकेट लगवाया गया था। पटना के वेरीकेट को बड़े वाहनों द्वारा चार बार तोड़ा जा चुका है। वर्तमान समय में भी टूटा हुआ है। स्थिति यह है कि बड़े बाहन धड़ल्ले पूर्वक सड़क मार्ग से गुजरने लगे हैं। नहर के किनारे जगह-जगह दुकानें तथा आवासीय घर बनने लगे हैं। एक तरफ जहां बाणसागर नहर से संबंधित विभाग अनजान बना हुआ है वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अमला भी निष्क्रियता बरतने में पीछे नहीं है। पटना, सरदा, मझिगवां, करियाझर, पिपरांव, धौरहरा, बुढग़ौना, बघवार में अतिक्रमण की होड़ मची हुई है। जर्जर सड़क तथा अतिक्रमण की संकीर्णता से असामयिक दुर्घटनाओं का द्वार नि:संदेह खुला हुआ है। वहीं स्वाभाविक रूप से अल्ट्राटेक सीधी सीमेंट में कार्यरत श्रमिकों एवं अन्य सभी के लिए एकल मार्ग समीप होने के कारण नहर व्यस्त मार्ग बन चुका है। पिपरांव तथा धौरहरा की पुल जर्जर ग्रामीणों की आवाजाही के लिए सामान्य तौर पर विभाग द्वारा बनवायी अन्य ग्रामीण पुलियों की भांति पिपरांव तथा धौरहरा ग्राम के समीप निर्मित पुल क्षमता के ऊपर भार ढोते-ढोते जर्जर हालत में तब्दील हो चुकी है। सीमेंट प्लांट जाने के लिए पिपरांव पुल तथा ट्रांसपोर्ट तथा पुलिस चौकी जाने के लिए धौरहरा पुल ही एकमात्र मार्ग है। संकीर्ण तथा खण्डहर होने से खतरा व्याप्त है। कुल मिलाकर यदि प्रशासन द्वारा इसी तरह की लापरवाही होती रही तो फिर किसी बड़ी दुर्घटना को रोका नहीं जा सकता है। 

 

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