सोलर पम्प की स्थापना से लघु कृषक श्रीमती रतनबाई की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई "सफलता की कहानी" -
सोलर पम्प की स्थापना से लघु कृषक श्रीमती रतनबाई की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई "सफलता की कहानी" -
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। उज्जैन जिले की घट्टिया तहसील के ग्राम रलायती (कालूखेड़ी) निवासी लघु कृषक श्रीमती रतनबाई पति भगवान सिंह की आर्थिक स्थिति कमजोर थी तथा वे कम खेती होने से अनेक दिक्कतों का सामना कर रही थी। कृषि कार्य में उन्हें सिंचाई सम्बन्धी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा था। साथ ही बार-बार डीपी जलने के कारण और पारम्परिक बिजली का कनेक्शन भी नहीं ले पाने के कारण बिजली नहीं मिलने से सिंचाई नहीं हो पाती थी। श्रीमती रतनबाई ने बताया कि वे अपनी कम खेती को सिंचित करने के लिये पड़ौसियों से बिजली उधार लेती थी, जिसका उन्हें भारी बिल चुकाना पड़ता था। पड़ौसी से बिजली लेने की निरन्तरता भी नहीं थी, जिससे उनके द्वारा खेत में लगाई जाने वाली सब्जी आदि की खेती सूखने से उन्हें अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ता था। श्रीमती रतनबाई पति भगवान सिंह को उनके दिव्यांग पुत्र श्री तंवर सिंह को कहीं से पता लगा कि कम अनुदान पर सोलर पम्प लगाने से नि:शुल्क सिंचाई हो सकेगी। पता लगाकर उज्जैन जिला मुख्यालय स्थित ऊर्जा विकास निगम के कार्यालय पहुंचे। वहां पर जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी श्री आलोक व्यास से मुलाकात कर सोलर पम्प के बारे में जानकारी प्राप्त की। श्री व्यास ने लघु कृषक की दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्होंने योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना की सम्पूर्ण जानकारी मय तकनीकी पहलुओं पर स्पष्ट जानकारी से अवगत कराया। रियायती दर पर मात्र 36 हजार रुपये हितग्राही से अंशदान लेकर उन्हें सोलर पम्प योजना अन्तर्गत स्वीकृति प्रदान कराई गई। सोलर पम्प स्थापना के बाद श्रीमती रतनबाई ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सोलर पम्प से अपने खेत में नि:शुल्क सिंचाई कर अपना भरण-पोषण कर रहे हैं। सौर ऊर्जा संयंत्र लगने से वर्षभर बिना खर्च के पर्याप्त कृषि योग्य पानी उनके कुए से प्राप्त हो रहा है। इससे रतनबाई अपने खेतों में सब्जियों तथा अन्य उद्यानिकी फसल की नवीनतम किस्में लगाकर मार्केट से अच्छा लाभ प्राप्त कर रही है और इससे उनका आर्थिक एवं सामाजिक स्तर काफी ऊंचा उठा है। उल्लेखनीय है कि अप्रैल-2017 से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना अन्तर्गत 85 से 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को सोलर पम्प स्थापित करने की अत्यन्त लोकप्रिय योजना है। उज्जैन संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा विभाग द्वारा समय-समय पर योजनाओं की समीक्षा के दौरान विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी कर उन्हें अधिक से अधिक किसानों एवं छोटे किसानों के खेतों में सोलर पम्प की स्थापना कराई जा रही है। इसी तारतम्य में उज्जैन संभाग में कुल 5147 किसानों ने सोलर पम्प की स्थापना करवाने के लिये आवेदन किये थे। इनमें से 3387 उपयुक्त किसान पाये जाने से कार्यादेश विभाग द्वारा जारी किया गया था। उज्जैन संभाग में वर्तमान में 2517 सोलर पम्प की स्थापना किसानों ने अपने खेतों पर करवाई है और सफलतापूर्वक उनका संचालन भी किया जा रहा है। सोलर पम्प का संचालन सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है। सूर्य की किरणों से संचालित होने से प्रदूषणमुक्त प्रणाली है तथा सोलर पम्प की स्थापना से लगभग साढ़े तीन साल में इकाई अपना मूल्य चुका देती है। शासन द्वारा सोलर पम्प की स्थापना पर दो वर्ष की वारंटी के साथ कुल पंचवर्षीय देखरेख भी नि:शुल्क की जाती है। स्थापनाकर्ता एवं बीमा कंपनी के बीच करार भी है, ताकि किसान को हानि न हो। योजना के प्रारम्भ से अब तक उज्जैन संभाग के उज्जैन जिले में 242, देवास में 899, शाजापुर में 637, आगर में 42, मंदसौर में 209, रतलाम में 191 और नीमच जिले में 297 सोलर पम्प की स्थापना किसानों के द्वारा करवाई गई है। योजना अन्तर्गत सोलर पम्प की दरें अनुदान घटाने के बाद हितग्राहियों को एक एचपीडीसी सोलर पम्प लगाने पर हितग्राही को 19 हजार, 2 एचपीडीसी सरफेस लगाने पर 23 हजार, 2 एचपीडीसी लगाने पर 25 हजार, 3 एचपीडीसी सोलर पम्प लगाने पर 36 हजार रुपये, 5 एचपीडीसी पम्प लगाने पर 72 हजार रुपये, 7.5 एचपीडीसी पम्प लगाने पर एक लाख 35 हजार रुपये, 7.5 एचपीएसी पम्प लगाने पर एक लाख 35 हजार रुपये, 10 एचपीडीसी पम्प लगाने पर दो लाख 17 हजार 840 रुपये तथा 10 एचपीएसी सोलर पम्प लगाने पर दो लाख 17 हजार 250 रुपये का हितग्राही को अंशदान देना पड़ेगा।