राजनांदगांव : माहवारी के दिनों में महिलाओं को अलग कुटिया में रखने की कुप्रथा को जड़ से मिटाना होगा - संसदीय सचिव इन्द्रशाह मंडावी
राजनांदगांव : माहवारी के दिनों में महिलाओं को अलग कुटिया में रखने की कुप्रथा को जड़ से मिटाना होगा - संसदीय सचिव इन्द्रशाह मंडावी
डिजिटल डेस्क, राजनांदगांव। सीतागांव में व्याप्त सामाजिक कुप्रथा को दूर करने के लिए महिला जागृति शिविर का आयोजन शिविर में वनाधिकार पट्टा का वितरण भी किया गया राजनांदगांव 14 अक्टूबर 2020 संसदीय सचिव श्री इन्द्रशाह मंडावी ने कहा कि सीतागांव में महिलाओं को माहवारी के समय अलग कुटिया में रखा जाता है जो कि अनुचित है। जहां सांप, बिच्छू का डर तो होता ही है साफ-सफाई भी नहीं होती। यह परिवार की महिला सदस्य के साथ अन्याय है। यह एक प्राकृतिक देन है, पाप नहीं है और इसमें छुआ-छूत जैसी कोई बात नहीं है। हमारी माताओं और बहनों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। बदलते वक्त के साथ चलने की जरूरत है और अच्छी सोच के साथ समझदारी से काम लेना चाहिए। जिस तरह समय के साथ शिक्षा का स्तर और जीवन के स्तर की गुणवत्ता बढ़ी है। उसी तरह हमें भी समाज की कुप्रथाओं को दूर करना चाहिए। उक्त बातें उन्होंने मानपुर विकासखंड के सीतागांव में आयोजित महिला जागृति शिविर में कही। इस अवसर पर वनाधिकार पट्टा का भी वितरण किया गया। संसदीय सचिव श्री मंडावी ने बड़े बुजुर्गों को भी समझाते हुए कहा कि आप सबकी जिम्मेदारी है कि ऐसी कुप्रथा को दूर करें और कुछ सकारात्मक सोचे। उन्होंने कहा कि शासन के निर्देशानुसार कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करें। जब तक वैक्सीन नहीं आता, तब तक मास्क लगाकर रहना होगा। उन्होंने युवाओं को नशे की आदत छोडऩे को कहा। जनपद अध्यक्ष श्री दिनेश मंडावी ने कहा कि हमें समाज से छुआ-छूत की भावना को मिटाना है और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की दिशा में आगे कदम बढ़ाना है। गांव के सभी लोग मिलकर इस कुप्रथा को दूर करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्राथमिकता से वन अधिकार पट्टा वनवासियों को दिया और छत्तीसगढ़ देश में वन अधिकार पट्टा वितरित करने में अग्रणी राज्य है। जिससे हमारे गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का सपना पूरा होगा। जिला पंचायत सदस्य श्रीमती राधिका अंधारे ने कहा कि यह कुप्रथा ठीक नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन एवं गांव के शिक्षित लोग सभी को समझाने की कोशिश करें। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री सीपी बघेल ने कहा कि समाज की कुप्रथाओं को तोडऩे के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। समय में परिवर्तन आया है और महिलाएं सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है। हमें समाज की ऐसी अनुचित रूढिय़ों को समाप्त कराना होगा ताकि महिलाओं को उनके विकास का अवसर मिल सके। कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती रेणु प्रकाश ने कहा कि ऐसे दूरस्थ क्षेत्र में आज भी ऐसी कुरीतियां है, जहां बच्चे की डिलिवरी के बाद माता को अलग कुटिया में रखा जाता है वहीं महिलाओं को भी माहवारी के समय अलग स्थान में रखा जाता है। जबकि ऐसे समय में छोटे से बच्चों को भी संक्रमण से बचाना होता है और अस्वच्छ वातावरण में भी नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अपने परिवार को समझाएं और जागरूकता लाएं। कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा ने कहा है कि यह दुखद बात है और हमारी चिंता बढ़ जाती है जब हम आगे बढ़ रहे हैं और महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं। इसके बावजूद आज भी इस तरह की कुरीतियां समाज में मौजूद है। यहां की सरपंच महिला है इसके बाद भी ऐसी कुप्रथा टूट नहीं पा रही है दुख की बात है। उन्होंने कहा कि हम इस सामाजिक कुप्रथा को दूर करने में सहयोग करेंगे। ऐसे चिन्हांकित लोगों के घर-घर जाकर उन्हें समझाईश देंगे कि पहले से चली आ रही प्रथा अब के समय में ठीक नहीं है। माहवारी के दिनों के लिए महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का उपयोग कर रही हैं। यह तकलीफ के दिनों को कम करते हैं और जिसकी वजह से महिलाएं सामान्य दिनों की तरह काम कर पाती हैं। महिला स्वसहायता समूह द्वारा कम कीमत पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने पति एवं सास-ससुर के बातों पर भरोसा करती हंै। आप उन्हें समझाएं कि आज के समय में यह सही नहीं है और इस कुरीति को जड़ से खत्म करना है। बच्चों की बेहतरी के लिए हमें यह कार्य करना होगा। पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर एवं घर-घर जाकर ही सभी समझाईश देंगे। इस कुरीति को दूर करने के लिए हमें युद्ध स्तर पर कार्य करना होगा और आप सभी को साथ देना होगा। जनपद सीईओ श्री डीडी माण्डले ने कहा कि हमारे समाज में कई तरह की बुराईयां है। जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। देश के महान समाज सुधारक राजाराम मोहन राय ने सती प्रथा का अंत किया था एवं बाल विवाह के अंत के लिए कार्य किया। ऐसी कुप्रथाएं महिलाओं के प्रति अत्याचार है। इनको समाप्त करने के लिए किसी न किसी व्यक्ति को आगे बढऩा होता है और वे समाज में परिवर्तन लाते हैं।